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Wednesday 6 July 2011

कुंडली के प्रथम भाव के दोष को दूर करने का प्रयोग


 क्या सभी ग्रहों का उपाय किया फिर भी लाभ नहीं मिला? कहीं आपकी कुंडली के भाव ही तो पीड़ित नहीं हैं?जीवन के हर कार्य से जुड़ा होता है कुंडली का हर एक विशेष भाव। कैसे दूर करे कुंडली के 12 भावो के दुष्प्रभाव को, क्या हैं उनका सरल मंत्र?
कुंडली के प्रथम भाव के दोष को दूर करने का प्रयोग नंबर एक...

प्रथम भाव
किसी भी जातक की शारीरिक आकृति, स्वभाव, वर्ण चिन्ह, व्यक्तित्व, चरित्र, मुख, गुण व अवगुण, प्रारंभिक जीवन विचार, यश, सुख-दुख, नेतृत्व शक्ति, व्यक्तित्व, मुख का ऊपरी भाग, जीवन के संबंध में जानकारी मिलती है। विस्तृत रूप में इस भाव से जनस्वास्थ्य, मंत्रिमंडल की परिस्थितियों पर भी विचार जाना जा सकता है। यदि इनमे है कमी तो आप के प्रथम भाव में कही कोई दोष है।
उपाय:- ॐ वक्रतुण्डाय नम: का 108 बार नित्य जाप करना और हरे वस्त्र का दान तथा गो सेवा करना आप को इस भाव के दोष से मुक्ति दिला देगा।
प्रयोग-2
विघ्ननाशक गणेश मन्त्र
“जो सुमिरत सिधि होइ,गननायक करिबर बदन। करउ अनुग्रह सोई बुद्धिरासी सुभ गुन सदन।।”
विधि-गणेशजी को सिन्दूर का चोला चढ़ायें और प्रतिदिन लाल चन्दन की माला
से प्रातःकाल 1080 (10 माला) इस मन्त्र का जाप 40 दिन तक करते रहें।
लाभ-सभी विघ्नों का अन्त होकर गणेशजी का अनुग्रह प्राप्त होता है।

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