१. बादाम - बादाम अपनी कोशिकाओं में एक ऐसे तेलीय पदार्थों का संग्रहण करता है जो त्वचा की कोशिकाओं में समां कर उसके सौदर्य को उभरते हैं. ये वसा में घुलनशील विटामिनों (जैसे विटामिन इ ) का खज़ाना है जो त्वचा में समां कर आयु के प्रभावों को मिटा देते हैं.
२. चन्दन - चन्दन के गुडों का आयुर्वेद स्वयं साक्षी है. राजवैद्यों ने इसका प्रयोग कर रानियों के विशेष सौन्दर्य लेपों में किया है और अविश्वसनीय सफलता पाई है.
३. हल्दी - पूरे भारत में दुल्हन के चेहरे पर सदियों से राज करने वाली हल्दी ने अपना वर्चस्व अभी भी कायम किया हुआ है. इसका महत्व इस बात से लगाया जा सकता है की आज भी हल्दी की रसम होती है, आम या अमरुद की नहीं. धुंए और धुल से होने वाले तवचा के दुष्प्रभावों को मिनिटों में हटा देती है.
४. जैतून का तेल - यूनानी सभ्यता के हकीमों ने ऐसी दवाओं को जनम दिया है जो मृत शारीर ( मम्मी ) को सदियों तक संरक्षित रख सकती है. तवचा के गुडों को सवारने के लिए जैतून का तेल उनका प्रथम चुनाव होता था.
५. नीम - नीम के अन्दर त्वचा के कीटादुओं को मरने की असीम क्षमता होती है. वातावरण की गंदगी और पसीने के कारण त्वचा पर कीताडुओं का ढेर जमा हो जाता है जो हानिकारक पदार्थों का स्राव करते हैं. नीम से इसके सभी दिश्प्रभावों को मिटाया जा सकता है.
६. दूध - दूध एक संपूर्ण आहार है. इसके सेवन से त्वचा में गोरापन और चिकापन आता है.
यदि आप इन जड़ी बूटियों को हफ्ते के ६ दिन, एक एक कर के लगाया करें तो किसी व्यावसायिक क्रीम या साबुन से कहीं ज्यादा तेज व निखार का अनुभव और आनंद ले दकते हैं.
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