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Monday 11 July 2011

भाग्य बढ़ाने का सरल उपाय





१.  सूर्योदय   से पूर्व  ब्रह्मा  बेला  में ( ३-५) उठे , और अपने दोनों हांथो की हंथेली को  रगरे  और हंथेली को देख कर अपने मुंह पर फेरे,
२. पृथ्वी पर अपने पाव रखने से पहले धरती माता को  प्रणाम करें फिर अपना दाहिना पैर धरती पर रखे, इसके बाद हाँथ मुंह धोकर इश्वर का चिंतन करें,
3. मल , मूत्र , मैथुन , दातुन , श्राद्ध और भोजन करते समय मौन बरत को धारण करें ,
4. प्रातः  अपने माता पिता गुरुजनों और अपने से बड़ों का आशीर्वाद ले , ऋषियों ने कहा है की जो भी माता बहन या भाई बंधू अपने घरों में रोज अपने से बड़ो या पति , सास -ससुर का रोज आशीर्वाद लेते है  उनके घर में कभी अशांति नहीं आती है या कभी भी तलाक या महामरी  नहीं हो टी है इशलिये अपने से बड़ो की इज्जत करें और उनका आशीर्वाद लें .
5. इश्के बाद रोज नहा धोकर अपने शारीर को स्वचा करें , साफ  वस्त्र पहने , गुरु और इश्वर का चिंतन करते हुए अपने काम को  इश्वर की सेवा करते हुए करें, जैसे .आप को भोजन बनाना है  तो उशे प्रभु के निमित्त ध्यान करते हुए बनाओ की मई जो सुन्दर और स्वदिस्थ  भोजन  बनोगी सबसे पहले इश्वर का भोग लगूंगी, कुछ भी खाने पिने से पहले गाय, कुत्ता  और कौवा का भोजन जरुर निकले,  इश्को करने से आप के घर में अन्ना का भंडार हमेशा भरा रहेगा.
६. तिलक किये बिना और अपने सर को बिना ढके पूजा पाठ और पित्रकर्म या कोई भी शुभ कार्य न करें, जहाँ तक हो सके तिलक जरुर करें,
७. संक्रांति, द्वादशी , अमावश , पूर्णिमा और रविवार को और संध्या के समय में तुलशी दल न तोड़े.
८.  सोते समय अपना सिरहाना  उत्तर या  पूर्व दिशा की तरफ करें.
९. अपने घर में तुलशी  का पौधा लगायें ,
१०-  योग और प्राणायाम करें  जिसको करने से शरीर हमेशा  निरोग रहता है,
११- परोपकार का पालन करें, असहाय , गरीब और पशुओं  और पर्यावरण की रक्षा करें , अपने धर्मं की रक्षा करें, मानव समाज की रक्षा करें,  अपने देशा और जन्मभूमि की रक्षा करें , मन – वाणी और कर्म  से सदाचार का पालन करें .

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