आम व्यक्ति वास्तु दुवारा अपने ऑफिस वा अपने घर के वास्तु दोष को नहीं भाप पता इसलिए सरल भाषा दुवारा वास्तु की कुछ महत्वपूर्ण बातो को आपके सामने बता रहा हु | जिससे आप अपने घर में वास्तु दोषों से मुक्ति पा सके वास्तु में आठ दिशाए है :-
(1) East(पूर्व)
(2) North(उत्तर)
(3) North East(ईशान कोर्ण )
(4) West(पशिचम)
(5) North West(वायव्य कोर्ण )
(6) South(दक्षिण)
(7) South West(नेत्रेत्य कोर्ण )
(8) South East(आग्नेय कोर्ण )
वास्तु मै इन आठ दिशाओ का वर्णन वा कार्य बहुत महत्वपूर्ण है हर दिशा का अपना महत्व वा कार्य है |
(1) East(पूर्व):-पूर्व दिशा का प्रतिनिधि गृह सूर्य है यदि इस दिशा में दोष हो तो वंश विर्धि में बाधक होता है पूर्व स्थान खुला वा हल्का होना चाहिए पूर्व दिशा में खिडकिया वा मुक्य दुवार अच्छा होता है वा दरवाजे खिडकिया ज्यादा खुला रखे विद्याथियो के लिए पड़ते समय मुख पूर्व दिशा की और रखे वा खाना भी पूर्व दिशा की और मुख करके खाना चाहिए यदि इस स्थान पर दोष हो तो पूर्व दिशा में एक बड़ा शीशा लगाए,सूर्य देवता का चित्र वा सूर्य यन्त्र लगाये सुबह सूर्य को ज़ल दे वा मंत्र का जाप करे :-ॐ ह्रम ह्रीम ह्रौम सः सूर्याय नमः |
(2) North(उत्तर):-उत्तर दिशा के स्वामी कुबेर वा लक्ष्मीजी है उतर दिशा माँ का स्थान होता है | यदि आपके घर पर उतर दिशा में यदि दोष है तो माता को कष्ट वा धन की हानि होती रहती है यह भाग कटा नहीं होना चाहिए यदि कटा हो तो एक शीशा उत्तरी दिवार पर लागये | उत्तरी दीवार पर तोते का चित्र लागये बच्चो की पढाई में जादू का काम करगी यदि धन की हानि हो रही हो तो माता लक्ष्मीजी का चित्र लगा सकते है | इस दिशा पर भी ज्यादा वजन नहीं रकना चाहिए इस दिशा को हल्का रखना चाहिए | यदि उतर दिशा में दोष है तो बुध यन्त्र,लक्ष्मी यन्त्र वा कुबेर यन्त्र किसी को भी लगा सकते है | इस मंत्र का जाप करे :-ॐ ब्राम ब्रीम ब्रोम सः बुधाय नमः का जाप करे |
(3) North East(ईशान दिशा):-ईशान दिशा का स्वामी गृह गुरु है | इस स्थान पर स्नानघर होना चाहिए पानी का बहाव इसी दिशा मै उत्तम होता है वा आपके घर का मंदिर इसी दिशा में सर्वोपरी होता है इस स्थान को साफ़ सुथरा रखे गन्दा ना होने दे यदि यह स्थान दूषित हो तो ज़ल का मटका इस दिशा पर रखे वा ऋषि मुनियों का चित्र इस दिशा पर लागवे | इस मंत्र का जाप करे:- ॐ ग्राम ग्रीम ग्रोम सः गुरुवे नमः का जाप करे |
(4) West(पशिचम):-पशिचम दिशा का स्वामी गृह शनि है | इस स्थान पर गमले ,बगीचे वा पेड़ पोधे लगा सकते है इस स्थान को जितना भरी रखेगे उतना अच्छा फल प्राप्त होगा यहाँ पर जमीन के नीछे का पानी का स्रोत वा फव्वारा लगा सकते है | भारी सामान रख सकते है वा इस दिशा में दोष हो तो शनि यन्त्र और इस मंत्र का जाप कर सकते है ॐ प्राम प्रीम प्रोम सः शनिश्चार्ये नमः का जाप कर सकते है |
(5) North West(वायव्य कोर्ण ) :-वायव्य दिशा का स्वामी चन्द्रमा है | इस स्थान पर पानी की टंकी को रखना चाहिए इस स्थान पर मछली घर रख सकते है वा पानी का छोटा फव्वारा भी लगा सकते है इस दिशा में दोष हो तो घुटने और कोहनी से सम्बंधित परेशानिया होती है दोष को शांत करने के लिए शवेत गणपति लागये वा चन्द्र यन्त्र लागये वा इस मंत्र का जाप करे :-"ॐ श्रम श्रीम श्रौम सः चन्द्रमसे नमः " का जाप करे |
(6) South(दक्षिण) :-दक्षिण दिशा का स्वामी मंगल गृह है | इस दिशा मै कुछ भी भारी सामान रख सकते है जेसे अलमारी,फीरिज वा गमले लगा सकते है | इस दिशा मै मुख्यदुआर ना बनाये | यदि इस दिशा में दोष हो तो हनुमान जी की तस्वीर दक्षिण दिशा में लगा देना वा इस मंत्र का जाप करे :-ॐ क्रम क्रीम क्रौम सः भौमाय नमः |
(7) South West(नेत्रेत्य कोर्ण) :-इस दिशा का स्वामी राहु है इस दिशा हमेशा सूखा रखे | यदि इस स्थान पर दोष हो तो मानसिक परेशानिया,कोई कार्य ना बनना ,पेरों से सम्बंधित रोग हो सकते है | इस दिशा में स्टोर रूम बना सकते है वा ज्यादा हलचल नहीं होनी चाहिए भारी सामान रख सकते है | यदि आप इन परेशानियों से ग्रस्त है तो राहु यन्त्र लगवाये वा इस मंत्र का जाप करे :-ॐ भ्रम भ्रीम भ्रौम सः रहावे नमः का जाप करे |
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