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Friday 15 July 2011

वास्तुदोष मूल निवारक

वास्तुदोष मूल निवारक
        वास्तुदोष निवारक यन्त्र :- वास्तु दोषों के विभिन्न  दिशाओं में होने से उससे सम्बन्धित यन्त्र उपयोग में लाकर उन दोषों का निवारण किया जा सकता है। इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि यन्त्र जानकर व्यक्ति द्वारा विधि पूर्वक बनाये गये  हों व उनकी शुद्धि भी कर ली गई हो। यन्त्र का उपयोग किसी भी जानकर वास्तुशास्त्री से सलाह लेकर विधि पूर्वक करना चाहिए।
मुख्य यन्त्र :-

  पूर्व में दोष होने पर    -    सूर्य यन्त्र पूर्व की तरफ स्थापित करें।

  पश्चिम में दोष होने पर    -    वरूण यन्त्र या चन्द्र यन्त्र पूजा में रखें।

  दक्षिण में दोष होने पर    -    मंगल यन्त्र पूजा में रखें।


  उत्तर में दोष होने पर    -    बुध यन्त्र पूजा में रखें।

  ईशान में दोष होने पर    -    ईशान में प्रकाश डालें व तुलसी का पौधा रखें। पूजा में
                                      गुरू यन्त्र रखें।

  आग्नेय में दोष होने पर    -    प्रवेश द्वार पर सिद्ध गणपति की स्थापना एवं शुक्र यन्त्र
                                        पूजा में रखें।

  नैरूत में दोष होने पर    -    राहु यन्त्र पूजा में स्थापित करें।

  वायव्य में दोष होने पर    -    चन्द्र यन्त्र पूजा में रखें।

 उपरोक्त के अलावा अन्य भी कई यन्त्र हैं, जैसे व्यापार वृद्धि यन्त्र, वास्तुदोष नाशक यन्त्र, श्री यन्त्र इत्यादि। वास्तुदोष नाशक यन्त्र को द्वार पर लगाया जा सकता है। भूमि पूजन के समय भी चांदी के सर्प के साथ वास्तु यन्त्र गाड़ा जाना बहुत फलदायक होता है।

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