totke aur kuchh vishesh
"If you want joy & happiness to grow, share it with others through : seva, sadhana and satsang.
Everybody has some good thing and how we enhance that goodness, is our place of work. That is what we are born to work
राहु काल के समय में किसी नये काम को शुरु नहीं किया जाता है
जो काम इस समय से पहले शुरु हो चुका है उसे राहु-काल के समय
में बीच में नहीं छोडा जाता है.
कोई व्यक्ति अगर किसी शुभ काम को इस समय
में करता है तो यह माना जाता है की उस व्यक्ति को किये गये काम का शुभ फल
...नहीं मिलता है.
उस व्यक्ति की मनोकामना पूरी नहीं होगी. अशुभ कामों के
लिये इस समय का विचार नहीं किया जाता है..
*
राहु काल अलग- अलग स्थानों के लिये अलग-2 होता है. इसका कारण यह है की
सूर्य के उदय होने का समय विभिन्न स्थानों के अनुसार अलग होता है. इस
सूर्य के उदय के समय व अस्त के समय के काल को निश्चित आठ भागों में बांटने
से ज्ञात किया जाता है.
दक्षिण भारत में प्रचलित:
राहु काल का विशेष प्रावधान दक्षिण भारत में है यह
सप्ताह के सातों दिन निश्चित समय पर लगभग डेढ़ घण्टे तक रहता है. इसे अशुभ
...समय के रुप मे देखा जाता है. इसी कारण राहु काल की अवधि में शुभ कर्मो को
यथा संभव टालने की सलाह दी जाती है
Importance of Rahu-Kaal
राहु-काल व्यक्ति को सावधान करता है. कि यह समय अच्छा नहीं है
इस समय में
किये गये कामों के निष्फल होने की संभावना है.
इसलिये, इस समय में कोई भी
...शुभ काम नहीं किया जाना चाहिए.
कुछ लोगों का तो यहां तक मानना है की इससे
किये गये काम में अनिष्ट होने की संभावना रहती है.
अनेक बार ऎसा होता है कि कुण्डली में मांगलिक योग बनता है.
परन्तु कुण्डली
के अन्य योगों से इस योग की अशुभता में कमी हो होती है.
अपूर्ण जानकारी के कारण अपने मन में मांगलिक योग से प्राप्त होने
वाले अशुभ प्रभाव को लेकर भयभीत होते रहते है.
...
काल सर्प योग से
पीडिय व्यक्तियों को इस दिन नाग देवता की पूजा अवश्य करनी चाहिए. ·
मनसा देवी को प्रसन्न करना
उतरी
भारत में श्रवण मास की नाग पंचमी के दिन मनसा देवी की पूजा करने का विधान
भी है.
देवी मनसा को नागों की देवी माना गया है.
... इसलिये बंगाल, उडिसा और
अन्य क्षेत्रों में मनसा देवी के दर्शन व उपासना का कार्य किया जाता है.
मुख्य द्वार पर नाग देवता की आकृ्ति पूजा - Nag Devda Puja on Nag Panchami
देश
के कुछ भागों में 14 अगस्त नाग पंचमी के दिन उपवासक अपने घर की दहलीज के
दोनों ओर गोबर से पांच सिर वाले नाग की आकृ्ति बनाते है. गोबर न मिलने पर
गेरू का प्रयोग भी किया जा सकता है. इसके बाद नाग देवता को दूध, दुर्वा,
...कुशा, गन्ध, फूल, अक्षत, लड्डूओं सहित पूजा करके नाग स्त्रोत
या निम्न मंत्र का जाप किया जाता है." ऊँ कुरुकुल्ये हुँ फट स्वाहा"
नाग पंचमी में बासी भोजन ग्रहण करने का विधान
नाग
पंचमी के दिन मात्र पूजा में प्रयोग होने वाला भोजन ही तैयार किया जाता
है.
बाकि भोजन एक दिन पहले ही बनाया जाता है.
... परिवार के जो सदस्य उपवास
नहीं रखते है. उन्हें बासी भोजन ही ग्रहण करने के लिये दिया जाता है. खीर
के अलावा चावल-सैवई ताजे भोजन में बनाये जाते है
दक्षिण भारत में नाग पंचमी का अलग रुप>>>>>>>>>>>
भारत
के दक्षिण क्षेत्रों में श्रवण, शुक्ल पक्ष की नाग पंचमी में शुद्ध तेल से
स्नान किया जाता है. तथा वहां अविवाहित कन्याएं उपवास रख, मनोवांछित जीवन
साथी की प्राप्ति की कामना करती है.
नाग पंचमी के उपवास की विधि
व्रत में पूरे दिन
उपवास रख कर सूर्य अस्त होने के बाद नाग देवता की पूजा के लिये खीर के रुप
में प्रसाद बनाया जाता है
खीर को पहले नाग देवता की मूर्ति अथवा
...शिव मंदिर में जाकर भोग लगाया जाता है,
उसके बाद इस खीर को प्रसाद के रुप
में स्वयं ग्रहण किया जाता है.
उपवास समाप्ति के भोजन में नमक व तले हुए
भोजन का प्रयोग करना वर्जित होता है
. इस दिन उपवास से संबन्धित सभी नियमों
का पालन करना चाहिए.
Everybody has some good thing and how we enhance that goodness, is our place of work. That is what we are born to work
राहु काल के समय में किसी नये काम को शुरु नहीं किया जाता है
जो काम इस समय से पहले शुरु हो चुका है उसे राहु-काल के समय
में बीच में नहीं छोडा जाता है.
कोई व्यक्ति अगर किसी शुभ काम को इस समय
में करता है तो यह माना जाता है की उस व्यक्ति को किये गये काम का शुभ फल
...नहीं मिलता है.
उस व्यक्ति की मनोकामना पूरी नहीं होगी. अशुभ कामों के
लिये इस समय का विचार नहीं किया जाता है..
*
राहु काल अलग- अलग स्थानों के लिये अलग-2 होता है. इसका कारण यह है की
सूर्य के उदय होने का समय विभिन्न स्थानों के अनुसार अलग होता है. इस
सूर्य के उदय के समय व अस्त के समय के काल को निश्चित आठ भागों में बांटने
से ज्ञात किया जाता है.
दक्षिण भारत में प्रचलित:
राहु काल का विशेष प्रावधान दक्षिण भारत में है यह
सप्ताह के सातों दिन निश्चित समय पर लगभग डेढ़ घण्टे तक रहता है. इसे अशुभ
...समय के रुप मे देखा जाता है. इसी कारण राहु काल की अवधि में शुभ कर्मो को
यथा संभव टालने की सलाह दी जाती है
Importance of Rahu-Kaal
राहु-काल व्यक्ति को सावधान करता है. कि यह समय अच्छा नहीं है
इस समय में
किये गये कामों के निष्फल होने की संभावना है.
इसलिये, इस समय में कोई भी
...शुभ काम नहीं किया जाना चाहिए.
कुछ लोगों का तो यहां तक मानना है की इससे
किये गये काम में अनिष्ट होने की संभावना रहती है.
अनेक बार ऎसा होता है कि कुण्डली में मांगलिक योग बनता है.
परन्तु कुण्डली
के अन्य योगों से इस योग की अशुभता में कमी हो होती है.
अपूर्ण जानकारी के कारण अपने मन में मांगलिक योग से प्राप्त होने
वाले अशुभ प्रभाव को लेकर भयभीत होते रहते है.
...
काल सर्प योग से
पीडिय व्यक्तियों को इस दिन नाग देवता की पूजा अवश्य करनी चाहिए. ·
मनसा देवी को प्रसन्न करना
उतरी
भारत में श्रवण मास की नाग पंचमी के दिन मनसा देवी की पूजा करने का विधान
भी है.
देवी मनसा को नागों की देवी माना गया है.
... इसलिये बंगाल, उडिसा और
अन्य क्षेत्रों में मनसा देवी के दर्शन व उपासना का कार्य किया जाता है.
मुख्य द्वार पर नाग देवता की आकृ्ति पूजा - Nag Devda Puja on Nag Panchami
देश
के कुछ भागों में 14 अगस्त नाग पंचमी के दिन उपवासक अपने घर की दहलीज के
दोनों ओर गोबर से पांच सिर वाले नाग की आकृ्ति बनाते है. गोबर न मिलने पर
गेरू का प्रयोग भी किया जा सकता है. इसके बाद नाग देवता को दूध, दुर्वा,
...कुशा, गन्ध, फूल, अक्षत, लड्डूओं सहित पूजा करके नाग स्त्रोत
या निम्न मंत्र का जाप किया जाता है." ऊँ कुरुकुल्ये हुँ फट स्वाहा"
नाग पंचमी में बासी भोजन ग्रहण करने का विधान
नाग
पंचमी के दिन मात्र पूजा में प्रयोग होने वाला भोजन ही तैयार किया जाता
है.
बाकि भोजन एक दिन पहले ही बनाया जाता है.
... परिवार के जो सदस्य उपवास
नहीं रखते है. उन्हें बासी भोजन ही ग्रहण करने के लिये दिया जाता है. खीर
के अलावा चावल-सैवई ताजे भोजन में बनाये जाते है
दक्षिण भारत में नाग पंचमी का अलग रुप>>>>>>>>>>>
भारत
के दक्षिण क्षेत्रों में श्रवण, शुक्ल पक्ष की नाग पंचमी में शुद्ध तेल से
स्नान किया जाता है. तथा वहां अविवाहित कन्याएं उपवास रख, मनोवांछित जीवन
साथी की प्राप्ति की कामना करती है.
नाग पंचमी के उपवास की विधि
व्रत में पूरे दिन
उपवास रख कर सूर्य अस्त होने के बाद नाग देवता की पूजा के लिये खीर के रुप
में प्रसाद बनाया जाता है
खीर को पहले नाग देवता की मूर्ति अथवा
...शिव मंदिर में जाकर भोग लगाया जाता है,
उसके बाद इस खीर को प्रसाद के रुप
में स्वयं ग्रहण किया जाता है.
उपवास समाप्ति के भोजन में नमक व तले हुए
भोजन का प्रयोग करना वर्जित होता है
. इस दिन उपवास से संबन्धित सभी नियमों
का पालन करना चाहिए.
नाग पंचमी श्रवण मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जायेग,जाता है
अत. नागों को धारण करने वाले भगवान भोलेनाथ की पूजाआराधना करना शुभ माना जाता है.
इस मास में धरती खोदने का कार्य नहीं किया
जाता है. इसलिये इस दिन भूमि में हल चलाना, नींव खोदना शुभ नहीं माना जाता
...है. भूमि में नाग देवता का घर होना है. भूमि के खोदने से नागों को कष्ट
होने की की संभावनाएं बनती है {वास्तु नियम}
वैदिक ज्योतिष के उपाय यद्यपि शास्त्रोक्त होते हैं परन्तु श्रम साध्य और ज्ञान की आवश्यकता होने के कारण ये उपाय आम आदमी की पहुँच के बाहार होते हैं.
फिर इन उपायो को करने में धन का व्यय भी अधिक होता हैं
.
पुरातन काल से वृक्षों को रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा है। बरगद के
वृक्ष को स्त्रियां धागा लपेटकर रोली, अक्षत, चंदन, धूप और दीप दिखाकर
पूजा कर अपने पति के दीर्घायु होने की कामना करती है। आंवले के पेड़ पर
धागा लपेटने के पीछे मान्यता है कि इससे उनका परिवार धन धान्य से परिपूर्ण
होगा
वृक्ष को स्त्रियां धागा लपेटकर रोली, अक्षत, चंदन, धूप और दीप दिखाकर
पूजा कर अपने पति के दीर्घायु होने की कामना करती है। आंवले के पेड़ पर
धागा लपेटने के पीछे मान्यता है कि इससे उनका परिवार धन धान्य से परिपूर्ण
होगा
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