हम कौन सा उपाय करें? लक्ष्मी प्राप्ति कैसे प्राप्त हो? शनि ग्रह कैसे शान्त हो
टोटके इस प्रकार हैं-
1- कांसें की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपनी परछाई देखकर दान करें। 2- शनिवार को सरसों के तेल में लोहे की कील डालकर दान करें और पीपल की जड़ में तेल चढ़ाएं। 3- पीपल के वृक्ष पर सफेद ध्वजा (झंड़ा) फहराएं। 4- चांदी का चौकोर टुकड़ा हमेशा अपने पास रखें। 5- शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय जो भोजन बने उसे पत्तल में लेकर उस पर काले तिल डालकर पीपल की पूजा करें तथा नैवेद्य लगाएं और यह भोजन काली गाय या काले कुत्ते को खिलाएं। 6- नारियल तथा साबूत बादाम नदी में बहाएं। 7- पुराने लोहे का छल्ला अथवा कड़ा बनवाकर धारण करें। 8- तेल का पराठा बनाकर उस पर कोई मीठा पदार्थ रखकर गाय के बछड़े को खिलाएं। इन उपायों को करने से शनि की महादशा से आप बच सकते हैं। कुछ रोग असाध्य होते हैं अर्थात बहुत उपचार करवाने के बाद भी उन रोगों में कोई लाभ नहीं होता। ऐसे समय में व्यक्ति जीवन से हताश हो जाता है। यह किसी ग्रह के बुरे प्रभाव के कारण या फिर बुरी नजर लगने के कारण भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में नीचे लिखा उपाय करने से इस समस्या का निदान हो सकता है। लाइलाज रोग भी ठीक हो जाते हैं इस टोटके से उपाय एक सूखा नारियल लेकर उस व्यक्ति के नाप का काली ऊन का धागा लेकर नाम राशि के ग्रह का, मारकेश (कुंडली में मृत्यु के भाव का स्वामी) ग्रह का अथवा महामृत्युंजय का 108 बार जप करें या किसी योग्य ब्राह्मण से कराएं। इसके पश्चात नौ ग्रहों का जप करते हुए नौ काले टीके नारियल पर लगाकर प्रत्येक ग्रह का मंत्र जप करते हुए प्रत्येक टीके पर कील ठोंक दें। महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हुए काला धागा उस नारियल पर लपेट दें। उस नारियल को जल में प्रवाहित कर दें तथा मरीज के हाथ से कोई काली वस्तु का दान करा दें। सभी प्रकार से स्वास्थ्य लाभ होगा। पैसों की तंगी दूर करता है यह मंत्र- वर्तमान समय में जिसके पास धन नहीं है उसकी कोई पूछ-परख नहीं होती। यहां तक की उसके परिवार के सदस्य ही उसे मान-सम्मान नहीं देते। देवी लक्ष्मी धन-वैभव व ऐश्वर्य की देवी है। इनकी उपासना करने से कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती। यदि आप भी देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं नीचे लिखे मंत्र का पाठ करें। यह श्रीदुर्गासप्तशती के चौथे अध्याय का पांचवा मंत्र है। मंत्र या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी: पापात्मना: कृतधियां ह्रदयेषु बुद्धि:। श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्।। जप विधि - सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनकर देवी लक्ष्मी का पूजन करें। उन्हें लाल गुलाब के फूल अर्पित करें। - देवी लक्ष्मी की मूर्ति के सामने आसन लगाकर स्फटिक की माला लेकर इस मंत्र का जप करें। प्रतिदिन पांच माला जप करने से उत्तम फल मिलता है। - आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है। - एक ही समय, आसन व माला हो तो यह मंत्र जल्दी ही सिद्ध हो जाता है। गुरु हो अशुभ तो यह टोटके करें- जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु अशुभ होता है उसकी पढ़ाई में कई परेशानियां आती हैं। या तो उसकी पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है या फिर अन्य किसी कारण से वह अधिक नहीं पढ़ पाता। जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु अशुभ होता है उसके सिर के बाल उड़ जाते हैं, उसके मान-सम्मान में कमी आती है तथा गले के रोग हो जाते हैं। गुरु के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए कुछ साधारण टोटके इस प्रकार हैं- उपाय- - गुरुवार का व्रत रखें। - केसर का सेवन करें तथा सोने की अंगूठी धारण करें। - पीले फूल एवं फलों से ब्रह्माजी का पूजन करें। इसके बाद फलों को प्रसाद के रूप में बांट दें। - मस्तक पर पीला चंदन, हल्दी अथवा केसर का तिलक करें। - पीपल के वृक्ष में प्रतिदिन पानी डालें। - बारह बादाम कपड़े में बांधकर लोहे के बर्तन में बंद करके अपने पास रखें और उसे खोलकर नहीं देंखे। - कपिला (केसरिया रंग की) गाय की पूजा करें। - पीले कपड़े में चने की दाल बांधकर दान करें। सभी ग्रहों का अशुभ प्रभाव दूर करता है यह मंत्र किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि कोई सा भी ग्रह प्रतिकूल स्थिति में होता है तो वह जीवन भर दु:ख देता है। प्रतिकूल ग्रह को शांत करने का सबसे अच्छा माध्यम है कि उस ग्रह की पूजा की जाए। ऐसा करने से उस ग्रह का बुरा असर कम हो जाता है और वह शुभ फल देने लगता है। सभी ग्रहों को शान्त करें इस मन्त्र से- हमारे धर्म ग्रंथों में कई मंत्रों का वर्णन है जिनके जप से ग्रह की शांति होती है। एक मंत्र ऐसा भी है जिसके माध्यम से सभी ग्रहों की एक साथ पूजा की जा सकती है। यह मंत्र नौ ग्रहों की पूजा के लिए उपयुक्त है। यदि इस मंत्र का प्रतिदिन जप किया जाए तो सभी ग्रहों का बुरा प्रभाव समाप्त हो जाता है। मंत्र ऊँ ब्रह्मामुरारि त्रिपुरान्तकारी भानु: राशि भूमि सुतो बुध च। गुरू च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वेग्रहा: शान्ति करा: भवन्तु।। जप विधि - सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनकर नवग्रहों की पूजा करें। - नवग्रह की मूर्ति के सामने आसन लगाकर इस मंत्र का पांच माला जप करें। नवग्रह मंत्र जप के लिए एक विशेष प्रकार की माला का उपयोग किया जाता है जो बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। जप में उसी माला का उपयोग करें। - आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है। - एक ही समय, आसन व माला हो तो यह मंत्र जल्दी ही शुभ फल देने लगता है। डरावने सपने आते हो तो यह करें- कुछ लोगों को हमेशा सपने में बुरे सपने आते हैं। कहते हैं कि बुरे सपने को देखकर यदि व्यक्ति सो जाए अथवा रात्रि में ही किसी को कह दे तो बुरे स्वप्न का फल नष्ट हो जाता है। मंत्र विज्ञान के अनुसार कुछ मंत्र है जिनके जप से बुरे स्वप्न आना बंद हो जाते है। ऐसा ही एक मंत्र है श्री गणेश का ये नीचे लिखा मंत्र। जिसके जप से बुरे सपने आने बंद हो जाते हैं। मंत्र- ऊँ गं गणपतये नम: पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है यह मंत्र- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष रहता है तो उसे किसी काम में सफलता नहीं मिलती। वह कितनी भी मेहनत कर ले लेकिन वह कभी आर्थिक तरक्की नहीं कर पाता। जीवन के हर कदम पर उसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पितृदोष से मुक्ति के लिए हिंदू धर्म में कई प्रकार के विशेष पूजन का विधान है। इस पूजन के साथ यदि वह व्यक्ति जिसे पितृ दोष हो, वह नीचे लिखे मंत्र का जप करे तो शीघ्र ही उसे पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। मंत्र ऊँ श्रीं सर्व पितृ दोष निवारणाय क्लेश हन हन सुख-शांति देहि देहि फट् स्वाहा। जप विध - सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु का पूजन करें - भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने आसन लगाकर स्फटिक की माला लेकर इस मंत्र का जप करें। प्रतिदिन पांच माला जप करने से उत्तम फल मिलता है। - आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है। - एक ही समय, आसन व माला हो तो यह मंत्र शीघ्र ही प्रभावशाली हो जाता है। - सुबह उठकर भगवान शंकर को नमस्कार कर स्वप्न फल निवृत्ति के लिए प्रार्थना करें। - तुलसी के पौधे को जल देकर उसके सामने स्वप्न कहे अथवा अपने गुरु का स्मरण करें। - सोने से पहले भी इस ऊपर दिए हुए मंत्र का जप करें। यह उपाय करने से अशुभ स्वप्न के फल नष्ट हो जाते हैं। मौत भी दूर भागती है इस यंत्र से- यंत्र शास्त्र में महामृत्युंजय यंत्र का स्थान बहुत ऊंचा है। यह यंत्र मानव जीवन के लिए अभेद्य कवच है। बीमारी में अथवा दुर्घटना आदि से मृत्यु के भय को यह यंत्र नष्ट करता है। यह शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा को नष्ट करता है। इसे चल अचल दोनों तरह से प्रतिष्ठित किया जा सकता है। महामृत्युंजय यंत्र उच्चकोटि का दार्शनिक यंत्र है जिसमें जीवन-मृत्यु का रहस्य छिपा हुआ है। लाभ एवं उपयोग महामृत्युंजय यंत्र भगवान मृत्युंजय से सम्बन्धित है जिसका शाब्दिक अर्थ स्पष्ट है कि मृत्यु पर विजय इस देवता की आकृति देदीप्यमान है तथा ये नाना रूप धारण करने वाला है यह सब औषधि का स्वामी है तथा वैद्यों में सबसे बड़ा वैद्य है यह अपने उपासकों के पुत्र-पौत्रादि (बच्चों) तक को आरोग्य व दीर्घायु प्रदान करता है। इसके हाथों को मृणयाकु (सुख देने वाला), जलाष (शीतलता, शांति प्रदान करने वाला ) तथा भेषज (आरोग्य प्रदान करने वाला) कहा गया है। महामृत्युंजय यंत्र को सम्मुख रखकर रुद्र सूक्त का पाठ करने से विशेष लाभ होता है। परीक्षा में जोरदार सफलता दे राम की ऐसी उपासना- जीवन में किसी भी कार्य या लक्ष्य में सफलता के लिए अहम है संकल्प। संकल्प के साथ किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। विपरीत हालात में पाई ऐसी कामयाबी अनमोल ही नहीं होती बल्कि आगे बढऩे का आत्मविश्वास और उत्साह भी देती है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में भगवान श्रीराम का वनवासी जीवन संघर्ष, चुनौतियों में भी जीत की प्रेरणा देता है। श्रीराम ने संकल्पों के साथ पग-पग पर आई मुश्किलों पर विजय पाई। इंसानी भी हर घड़ी आगे बढऩे की कोशिशों में संघर्ष करता है। खासतौर पर विद्यार्थी जीवन या कार्यक्षेत्र में प्रतियोगिता के दौरान। व्यावहारिक रूप से परीक्षा या प्रतियोगिता में सफलता के लिए काबिलियत और प्रयास मायने रखते हैं। किंतु ईश्वर में आस्था और श्रद्धा इन कोशिशों में ऊर्जा भर देती है। देव उपासना से सफलता के ऐसे ही उपायों में रामचरित मानस के अरण्यकाण्ड में आई भगवान श्रीराम की स्तुति का पाठ परीक्षा या किसी प्रतियोगिता के दौरान सफलता के लिए बहुत ही प्रभावी और मनचाहे नतीजें देने वाली मानी गई है। जानते हैं यह राम स्तुति - श्याम तामरस दाम शरीरं। जटा मुकुट परिधन मुनिचीरं॥ पाणि चाप शर कटि तूणीरं। नौमि निरंतर श्रीरघुवीरं॥1॥ मोह विपिन घन दहन कृशानुः। संत सरोरुह कानन भानुः ॥ निशिचर करि वरूथ मृगराजः। त्रातु सदा नो भव खग बाजः॥2॥ अरुण नयन राजीव सुवेशं। सीता नयन चकोर निशेशं॥ हर ह्रदि मानस बाल मरालं। नौमि राम उर बाहु विशालं॥3॥ संशय सर्प ग्रसन उरगादः। शमन सुकर्कश तर्क विषादः॥ भव भंजन रंजन सुर यूथः। त्रातु सदा नो कृपा वरूथः॥4॥ निर्गुण सगुण विषम सम रूपं। ज्ञान गिरा गोतीतमनूपं ॥ अमलमखिलमनवद्यमपारं। नौमि राम भंजन महि भारं॥5॥ भक्त कल्पपादप आरामः। तर्जन क्रोध लोभ मद कामः॥ अति नागर भव सागर सेतुः। त्रातु सदा दिनकर कुल केतुः॥6॥ अतुलित भुज प्रताप बल धामः। कलि मल विपुल विभंजन नामः॥ धर्म वर्म नर्मद गुण ग्रामः। संतत शं तनोतु मम रामः॥7॥ शनि पी़ड़ा से बचाए ये शनि नाम मंत्र- धर्मशास्त्रों में शनि की महादशा, साढ़े साती या ढैय्या में शनि ग्रह की दोष शांति के लिए शनिवार का विशेष महत्व बताया गया है। हालांकि शनि दशा हमेशा बुरे नतीजे नहीं देती। फिर भी शनि की दशा में व्यक्ति भय और संशय की स्थिति में जीवन जीता है। इस हालात में शनि कृपा के लिए पूजा, व्रत, दान के धार्मिक उपाय अपनाए जाते हैं। किंतु शास्त्रों में कुछ ऐसे उपाय भी हैं, जो व्यावहारिक रूप से कामकाजी व्यक्तियों के लिए कम समय में पूरे होने के साथ-साथ शुभ फल भी देते हैं। शनि की प्रसन्नता के इन उपायों में एक है - शनि के नाम मंत्रों का जप। धार्मिक मान्यता है कि शनि के इन नाम मंत्रों का जप शनि पीड़ा दूर करने के साथ स्वास्थ्य, धन, अन्न, विद्या, बल और पराक्रम, सौभाग्य जैसी सभी कामनाओं को पूरा करने वाली मानी गई है। जानते हैं शनिवार के दिन शनि उपासना का यह सरल उपाय - - शनिवार के दिन सुबह जल में काले तिल डालकर स्नान करें। - स्नान के बाद किसी देवालय या पवित्र स्थान पर पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर शनि के इन 10 नामों अधिक से अधिक बार ध्यान करें। ये दस नाम हैं- - कोणस्थ - पिंगल - बभु्र - कृष्ण - रौद्रान्तक - यम - सौरि - शनैश्चर - मन्द - पिप्पलाश्रय नाम मंत्रों के जप के बाद पीपल के पेड़ पर दूध मिला जल चढ़ाकर शनि पीड़ा दूर करने की प्रार्थना करें।
टोटके इस प्रकार हैं-
1- कांसें की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपनी परछाई देखकर दान करें। 2- शनिवार को सरसों के तेल में लोहे की कील डालकर दान करें और पीपल की जड़ में तेल चढ़ाएं। 3- पीपल के वृक्ष पर सफेद ध्वजा (झंड़ा) फहराएं। 4- चांदी का चौकोर टुकड़ा हमेशा अपने पास रखें। 5- शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय जो भोजन बने उसे पत्तल में लेकर उस पर काले तिल डालकर पीपल की पूजा करें तथा नैवेद्य लगाएं और यह भोजन काली गाय या काले कुत्ते को खिलाएं। 6- नारियल तथा साबूत बादाम नदी में बहाएं। 7- पुराने लोहे का छल्ला अथवा कड़ा बनवाकर धारण करें। 8- तेल का पराठा बनाकर उस पर कोई मीठा पदार्थ रखकर गाय के बछड़े को खिलाएं। इन उपायों को करने से शनि की महादशा से आप बच सकते हैं। कुछ रोग असाध्य होते हैं अर्थात बहुत उपचार करवाने के बाद भी उन रोगों में कोई लाभ नहीं होता। ऐसे समय में व्यक्ति जीवन से हताश हो जाता है। यह किसी ग्रह के बुरे प्रभाव के कारण या फिर बुरी नजर लगने के कारण भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में नीचे लिखा उपाय करने से इस समस्या का निदान हो सकता है। लाइलाज रोग भी ठीक हो जाते हैं इस टोटके से उपाय एक सूखा नारियल लेकर उस व्यक्ति के नाप का काली ऊन का धागा लेकर नाम राशि के ग्रह का, मारकेश (कुंडली में मृत्यु के भाव का स्वामी) ग्रह का अथवा महामृत्युंजय का 108 बार जप करें या किसी योग्य ब्राह्मण से कराएं। इसके पश्चात नौ ग्रहों का जप करते हुए नौ काले टीके नारियल पर लगाकर प्रत्येक ग्रह का मंत्र जप करते हुए प्रत्येक टीके पर कील ठोंक दें। महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हुए काला धागा उस नारियल पर लपेट दें। उस नारियल को जल में प्रवाहित कर दें तथा मरीज के हाथ से कोई काली वस्तु का दान करा दें। सभी प्रकार से स्वास्थ्य लाभ होगा। पैसों की तंगी दूर करता है यह मंत्र- वर्तमान समय में जिसके पास धन नहीं है उसकी कोई पूछ-परख नहीं होती। यहां तक की उसके परिवार के सदस्य ही उसे मान-सम्मान नहीं देते। देवी लक्ष्मी धन-वैभव व ऐश्वर्य की देवी है। इनकी उपासना करने से कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती। यदि आप भी देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं नीचे लिखे मंत्र का पाठ करें। यह श्रीदुर्गासप्तशती के चौथे अध्याय का पांचवा मंत्र है। मंत्र या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी: पापात्मना: कृतधियां ह्रदयेषु बुद्धि:। श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्।। जप विधि - सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनकर देवी लक्ष्मी का पूजन करें। उन्हें लाल गुलाब के फूल अर्पित करें। - देवी लक्ष्मी की मूर्ति के सामने आसन लगाकर स्फटिक की माला लेकर इस मंत्र का जप करें। प्रतिदिन पांच माला जप करने से उत्तम फल मिलता है। - आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है। - एक ही समय, आसन व माला हो तो यह मंत्र जल्दी ही सिद्ध हो जाता है। गुरु हो अशुभ तो यह टोटके करें- जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु अशुभ होता है उसकी पढ़ाई में कई परेशानियां आती हैं। या तो उसकी पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है या फिर अन्य किसी कारण से वह अधिक नहीं पढ़ पाता। जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु अशुभ होता है उसके सिर के बाल उड़ जाते हैं, उसके मान-सम्मान में कमी आती है तथा गले के रोग हो जाते हैं। गुरु के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए कुछ साधारण टोटके इस प्रकार हैं- उपाय- - गुरुवार का व्रत रखें। - केसर का सेवन करें तथा सोने की अंगूठी धारण करें। - पीले फूल एवं फलों से ब्रह्माजी का पूजन करें। इसके बाद फलों को प्रसाद के रूप में बांट दें। - मस्तक पर पीला चंदन, हल्दी अथवा केसर का तिलक करें। - पीपल के वृक्ष में प्रतिदिन पानी डालें। - बारह बादाम कपड़े में बांधकर लोहे के बर्तन में बंद करके अपने पास रखें और उसे खोलकर नहीं देंखे। - कपिला (केसरिया रंग की) गाय की पूजा करें। - पीले कपड़े में चने की दाल बांधकर दान करें। सभी ग्रहों का अशुभ प्रभाव दूर करता है यह मंत्र किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि कोई सा भी ग्रह प्रतिकूल स्थिति में होता है तो वह जीवन भर दु:ख देता है। प्रतिकूल ग्रह को शांत करने का सबसे अच्छा माध्यम है कि उस ग्रह की पूजा की जाए। ऐसा करने से उस ग्रह का बुरा असर कम हो जाता है और वह शुभ फल देने लगता है। सभी ग्रहों को शान्त करें इस मन्त्र से- हमारे धर्म ग्रंथों में कई मंत्रों का वर्णन है जिनके जप से ग्रह की शांति होती है। एक मंत्र ऐसा भी है जिसके माध्यम से सभी ग्रहों की एक साथ पूजा की जा सकती है। यह मंत्र नौ ग्रहों की पूजा के लिए उपयुक्त है। यदि इस मंत्र का प्रतिदिन जप किया जाए तो सभी ग्रहों का बुरा प्रभाव समाप्त हो जाता है। मंत्र ऊँ ब्रह्मामुरारि त्रिपुरान्तकारी भानु: राशि भूमि सुतो बुध च। गुरू च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वेग्रहा: शान्ति करा: भवन्तु।। जप विधि - सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनकर नवग्रहों की पूजा करें। - नवग्रह की मूर्ति के सामने आसन लगाकर इस मंत्र का पांच माला जप करें। नवग्रह मंत्र जप के लिए एक विशेष प्रकार की माला का उपयोग किया जाता है जो बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। जप में उसी माला का उपयोग करें। - आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है। - एक ही समय, आसन व माला हो तो यह मंत्र जल्दी ही शुभ फल देने लगता है। डरावने सपने आते हो तो यह करें- कुछ लोगों को हमेशा सपने में बुरे सपने आते हैं। कहते हैं कि बुरे सपने को देखकर यदि व्यक्ति सो जाए अथवा रात्रि में ही किसी को कह दे तो बुरे स्वप्न का फल नष्ट हो जाता है। मंत्र विज्ञान के अनुसार कुछ मंत्र है जिनके जप से बुरे स्वप्न आना बंद हो जाते है। ऐसा ही एक मंत्र है श्री गणेश का ये नीचे लिखा मंत्र। जिसके जप से बुरे सपने आने बंद हो जाते हैं। मंत्र- ऊँ गं गणपतये नम: पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है यह मंत्र- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष रहता है तो उसे किसी काम में सफलता नहीं मिलती। वह कितनी भी मेहनत कर ले लेकिन वह कभी आर्थिक तरक्की नहीं कर पाता। जीवन के हर कदम पर उसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पितृदोष से मुक्ति के लिए हिंदू धर्म में कई प्रकार के विशेष पूजन का विधान है। इस पूजन के साथ यदि वह व्यक्ति जिसे पितृ दोष हो, वह नीचे लिखे मंत्र का जप करे तो शीघ्र ही उसे पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। मंत्र ऊँ श्रीं सर्व पितृ दोष निवारणाय क्लेश हन हन सुख-शांति देहि देहि फट् स्वाहा। जप विध - सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु का पूजन करें - भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने आसन लगाकर स्फटिक की माला लेकर इस मंत्र का जप करें। प्रतिदिन पांच माला जप करने से उत्तम फल मिलता है। - आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है। - एक ही समय, आसन व माला हो तो यह मंत्र शीघ्र ही प्रभावशाली हो जाता है। - सुबह उठकर भगवान शंकर को नमस्कार कर स्वप्न फल निवृत्ति के लिए प्रार्थना करें। - तुलसी के पौधे को जल देकर उसके सामने स्वप्न कहे अथवा अपने गुरु का स्मरण करें। - सोने से पहले भी इस ऊपर दिए हुए मंत्र का जप करें। यह उपाय करने से अशुभ स्वप्न के फल नष्ट हो जाते हैं। मौत भी दूर भागती है इस यंत्र से- यंत्र शास्त्र में महामृत्युंजय यंत्र का स्थान बहुत ऊंचा है। यह यंत्र मानव जीवन के लिए अभेद्य कवच है। बीमारी में अथवा दुर्घटना आदि से मृत्यु के भय को यह यंत्र नष्ट करता है। यह शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा को नष्ट करता है। इसे चल अचल दोनों तरह से प्रतिष्ठित किया जा सकता है। महामृत्युंजय यंत्र उच्चकोटि का दार्शनिक यंत्र है जिसमें जीवन-मृत्यु का रहस्य छिपा हुआ है। लाभ एवं उपयोग महामृत्युंजय यंत्र भगवान मृत्युंजय से सम्बन्धित है जिसका शाब्दिक अर्थ स्पष्ट है कि मृत्यु पर विजय इस देवता की आकृति देदीप्यमान है तथा ये नाना रूप धारण करने वाला है यह सब औषधि का स्वामी है तथा वैद्यों में सबसे बड़ा वैद्य है यह अपने उपासकों के पुत्र-पौत्रादि (बच्चों) तक को आरोग्य व दीर्घायु प्रदान करता है। इसके हाथों को मृणयाकु (सुख देने वाला), जलाष (शीतलता, शांति प्रदान करने वाला ) तथा भेषज (आरोग्य प्रदान करने वाला) कहा गया है। महामृत्युंजय यंत्र को सम्मुख रखकर रुद्र सूक्त का पाठ करने से विशेष लाभ होता है। परीक्षा में जोरदार सफलता दे राम की ऐसी उपासना- जीवन में किसी भी कार्य या लक्ष्य में सफलता के लिए अहम है संकल्प। संकल्प के साथ किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। विपरीत हालात में पाई ऐसी कामयाबी अनमोल ही नहीं होती बल्कि आगे बढऩे का आत्मविश्वास और उत्साह भी देती है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में भगवान श्रीराम का वनवासी जीवन संघर्ष, चुनौतियों में भी जीत की प्रेरणा देता है। श्रीराम ने संकल्पों के साथ पग-पग पर आई मुश्किलों पर विजय पाई। इंसानी भी हर घड़ी आगे बढऩे की कोशिशों में संघर्ष करता है। खासतौर पर विद्यार्थी जीवन या कार्यक्षेत्र में प्रतियोगिता के दौरान। व्यावहारिक रूप से परीक्षा या प्रतियोगिता में सफलता के लिए काबिलियत और प्रयास मायने रखते हैं। किंतु ईश्वर में आस्था और श्रद्धा इन कोशिशों में ऊर्जा भर देती है। देव उपासना से सफलता के ऐसे ही उपायों में रामचरित मानस के अरण्यकाण्ड में आई भगवान श्रीराम की स्तुति का पाठ परीक्षा या किसी प्रतियोगिता के दौरान सफलता के लिए बहुत ही प्रभावी और मनचाहे नतीजें देने वाली मानी गई है। जानते हैं यह राम स्तुति - श्याम तामरस दाम शरीरं। जटा मुकुट परिधन मुनिचीरं॥ पाणि चाप शर कटि तूणीरं। नौमि निरंतर श्रीरघुवीरं॥1॥ मोह विपिन घन दहन कृशानुः। संत सरोरुह कानन भानुः ॥ निशिचर करि वरूथ मृगराजः। त्रातु सदा नो भव खग बाजः॥2॥ अरुण नयन राजीव सुवेशं। सीता नयन चकोर निशेशं॥ हर ह्रदि मानस बाल मरालं। नौमि राम उर बाहु विशालं॥3॥ संशय सर्प ग्रसन उरगादः। शमन सुकर्कश तर्क विषादः॥ भव भंजन रंजन सुर यूथः। त्रातु सदा नो कृपा वरूथः॥4॥ निर्गुण सगुण विषम सम रूपं। ज्ञान गिरा गोतीतमनूपं ॥ अमलमखिलमनवद्यमपारं। नौमि राम भंजन महि भारं॥5॥ भक्त कल्पपादप आरामः। तर्जन क्रोध लोभ मद कामः॥ अति नागर भव सागर सेतुः। त्रातु सदा दिनकर कुल केतुः॥6॥ अतुलित भुज प्रताप बल धामः। कलि मल विपुल विभंजन नामः॥ धर्म वर्म नर्मद गुण ग्रामः। संतत शं तनोतु मम रामः॥7॥ शनि पी़ड़ा से बचाए ये शनि नाम मंत्र- धर्मशास्त्रों में शनि की महादशा, साढ़े साती या ढैय्या में शनि ग्रह की दोष शांति के लिए शनिवार का विशेष महत्व बताया गया है। हालांकि शनि दशा हमेशा बुरे नतीजे नहीं देती। फिर भी शनि की दशा में व्यक्ति भय और संशय की स्थिति में जीवन जीता है। इस हालात में शनि कृपा के लिए पूजा, व्रत, दान के धार्मिक उपाय अपनाए जाते हैं। किंतु शास्त्रों में कुछ ऐसे उपाय भी हैं, जो व्यावहारिक रूप से कामकाजी व्यक्तियों के लिए कम समय में पूरे होने के साथ-साथ शुभ फल भी देते हैं। शनि की प्रसन्नता के इन उपायों में एक है - शनि के नाम मंत्रों का जप। धार्मिक मान्यता है कि शनि के इन नाम मंत्रों का जप शनि पीड़ा दूर करने के साथ स्वास्थ्य, धन, अन्न, विद्या, बल और पराक्रम, सौभाग्य जैसी सभी कामनाओं को पूरा करने वाली मानी गई है। जानते हैं शनिवार के दिन शनि उपासना का यह सरल उपाय - - शनिवार के दिन सुबह जल में काले तिल डालकर स्नान करें। - स्नान के बाद किसी देवालय या पवित्र स्थान पर पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर शनि के इन 10 नामों अधिक से अधिक बार ध्यान करें। ये दस नाम हैं- - कोणस्थ - पिंगल - बभु्र - कृष्ण - रौद्रान्तक - यम - सौरि - शनैश्चर - मन्द - पिप्पलाश्रय नाम मंत्रों के जप के बाद पीपल के पेड़ पर दूध मिला जल चढ़ाकर शनि पीड़ा दूर करने की प्रार्थना करें।
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