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Friday 24 June 2011

व्रत 2011, जून

योगिनी एकादशी व्रत 2011, 27 जून
Fast of Yogini Ekadashi 2011, 27 jun
योगिनी एकादशी व्रत 27 जून, 2011 के दिन सोमवार के दिन होने के कारण अन्य एकदशियों की तुलना में शुभ रहेगी. एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा अर्चना करके उपवास रखा जाता है. रात्रि भर जागरण करते हुए श्री विष्णु व शिव स्तोत्र का पाठ किया जाता है. यह माना जाता है कि यह उपवास और पाठ करने से त्वचा के रोगों से मुक्ति मिलती है.
भौम प्रदोष व्रत 2011, 28 जून
fast of Bhouma Pradosh 2011, 28 Jun
त्रयोदशी तिथि में पडने वाला व्रत प्रदोष व्रत कहलाता है. यह माना जाता है कि प्रदोष काल में भगवान श्री भोलेनाथ कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में ‘नृ्त्य’ करते है. भगवान भोलेनाथ का यह नृ्त्य सूर्यास्त से लेकर रात्रि प्रारम्भ होने तक रहता है. शिव के इस नृ्त्य के मध्य की अवधि को प्रदोष काल के नाम से जाना जाता है.
28 जून, 2011 के दिन प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड रहा है, इसलिये इस व्रत को भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जायेगा. इस दिन के व्रत में भगवन शिव के साथ-साथ, भगवान राम के भक्त श्री हनुमान का पूजन व हनुमान चालिसा का पाठ करने का विशेष महत्व रहता है.
आषाढी अमावस्या 2011, 01 जुलाई
Ashadhi Amavasya 2011, 01 July
1 जुलाई को आषाढ मास की अमावस्या रहेंगी. अमावस्या के दिन तीर्थ स्थानों में दान -स्नान करने की विशेष महिमा रहेगी. अमावस्या के दिन पूर्वजों की आत्मा कि शान्ति के कार्य किये जाते है. इस दिन दान, दक्षिणा, तप और जप करना कल्याणकारी कहा गया है.
रथ- यात्रा 2011, 03 जुलाई
Rath – Yatra 2011, 3 July
आषाढ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पुष्य नक्षत्र में भगवान श्री जगन्नाथ जी की भव्य रथ यात्रा उत्साह के साथ मनाई जाती है. इस रथयात्रा को पूरी की रथ यात्रा के नाम से भी जाना जाता है. यह यात्रा उडिसा राज्य में निकाली जाती है. यह रथ यात्रा पूरे नौ दिन की होती है. रथ यात्रा के जुलूस में भगवान जगन्नाथ, देव बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की मूर्तियों रखी जाती है. यह रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से गुणडिपा मंदिर तक नौ दिनों के लिये रहती है.
हरिशयनी एकादशी व्रत 2011, 11 जुलाई
Fast of Harishayani Ekadashi 2011, 11 July
‘हरिशयनी ” एकादशी को “देवशयनी” के नाम से भी जाना जाता है. एक मान्यता के अनुसार इस दिन से देव विष्णु चार मास के लिये पाताल लोक में निवास करते है. तथा कार्तिक मास में देवउठानी एकादशी के दिन शयन से जागते है. इस एकादशी से लेकर कार्तिक मास की एकादशी के मध्य के चार मास की अवधि के समय में विवाह आदि नहीं किये जाते है.
यह माना जाता है कि हरिशयन के चार मास के समय में विवाह कार्य करने पर, देव विष्णु जी का आशिर्वाद प्राप्त नहीं हो पाता है. 11 जुलाई, 2011 के दिन पडने वाली हरिशयनी एकादशी का व्रत उपवास शुभ पुन्य फलों की प्राप्ति होती है. एकादशी के व्रत, भगवान विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिये किये जाते है. विष्णु जी के भक्तो को हरिशयनी एकादशी के व्रत को अवश्य करना चाहिए.

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