ज्ञात हुआ है कि गुरु का फल शुभ कम मिलता है। पुराणों में उच्च गुरु के अशुभ फल वर्णित है-
जन्म लग्ने गुरुश्चैव रामचंद्रो वनेगतः
तृतीय बलि पाताले, चतुर्थे हरिश्चंद्र,
षष्टे द्रोपदी चीरहरण च हंति रावणष्ट मे,
दशमे दुर्योधन हंति द्वादशे पांडु वनागतम्।
जन्म लग्ने गुरुश्चैव रामचंद्रो वनेगतः
तृतीय बलि पाताले, चतुर्थे हरिश्चंद्र,
षष्टे द्रोपदी चीरहरण च हंति रावणष्ट मे,
दशमे दुर्योधन हंति द्वादशे पांडु वनागतम्।
इस का क्या रथ है?
ReplyDeleteजन्म लग्ने गुरुश्चैव रामचंद्रो वनेगतः
Deleteतृतीय बलि पाताले, चतुर्थे हरिश्चंद्र,
षष्टे द्रोपदी चीरहरण च हंति रावणष्ट मे,
दशमे दुर्योधन हंति द्वादशे पांडु वनागतम् ।
इस का क्या अर्थ है?
जन्म लग्ने गुरुश्चैव रामचंद्रो वनेगतः
ReplyDeleteतृतीय बलि पाताले, चतुर्थे हरिश्चंद्र,
षष्टे द्रोपदी चीरहरण च हंति रावणष्ट मे,
दशमे दुर्योधन हंति द्वादशे पांडु वनागतम् । इस का क्या अर्थ है?