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Friday 26 July 2013

शास्त्रों में

शास्त्रों में जो बात लिखी गयी है उसे ध्यान पूर्वक एवं पूरा पूरा पढ़ना चाहिए. उसके बाद सोच विचार कर उसका पालन करना चाहिए. आधे अधूरे नहीं पढ़ने चाहिए. नहीं तो जिस तरह द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर की पूरी बात नहीं सुनी तथा केवल सुना कि “अश्वत्थामा मरो” और आगे की बात “नरो वा कुंजरो” नहीं सुने तथा इसीलिए शोक में उनके प्राण निकल गए. वही स्थिति हमारे साथ भी हो सकती है.

1 comment:

  1. Nice post !! Indian astrology is famous in all over the world. Astrology is the best way to solve your problems.
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