Search This Blog

Wednesday 17 July 2013

ज्योतिष और उपाय

ज्योतिष और उपाय

एक खास बात समझ लेनी जरुरी है की जातक जो कुछ भी चाहता है वो सारी चीजों की प्राप्ति हो पाए यह संभव नहीं होता| अगर यह संभव होता तो फीर भाग्य जैसी कोई चीज ही नहीं हो सकती | उपाय सिर्फ उसी के लिए हो सकते है जो चीज जातक के भाग्य में तो है पर उसकी प्राप्ति के आड़े कुछ बाधायें है| इसी बाधाओं को पहचानना ज्योतिषी का खास काम है|


जातक इच्छित चीज की प्राप्ति के लिए कितना लायक है,
पाय के बारे में उसकी कितनी श्रद्धा है और
उसे सहायक होने की ज्योतिषी की कितनी निष्ठां है


यह सारी बातें उपाय को कारगर होने व् नहीं होने को प्रभावित करती है | उपाय मूल रूप से दो तरह के होते है |


(१) जातक की कुंडली में जो ग्रह अच्छे है उनको और बलवान करना और

(२) जो ग्रह जातक की मनोकामना पूर्ती में अड़चन खड़ी करते हो उनको रिझाना |


किसी भी ग्रह के उपाय करने से पूर्व हमें जानना चाहिए की वह ग्रह नैसर्गिक रूप से किस किस बातों का घोतक है? कुंडली में इसकी स्थिति क्या निर्दिष्ठ करती है? यह सुनिश्चित करना होगा की कुंडली में ग्रह की स्थिति कैसी है? कमजोर है या बलिष्ठ ? फायदेमंद है या नुकसानदेय ? क्या जातक के जीवन अनुभव या उसकी मनोस्थिति से उस ग्रह के लक्षण दिखाई देते है?

ज्योतिषीक उपायों में - ग्रहों के सुचित रत्न को धारण करना, ग्रहों के मंत्र के जाप, ग्रहों की सूचित चीजों का दान व् ग्रहों के अधिष्ठाता देवता की स्तुति, उपासना व् अनुष्ठान करना मुख्य है. अगर रत्न के चुनाव में गलती होती है तो नुकसान भी हो सकता है जब की देवता के स्तुति मंत्र जप व् अनुष्ठान से उलटा असर होने का खतरा नहीं होता.

No comments:

Post a Comment