प्राचीनकाल
में ऋषि-मुनियों ने ऐसे पेड़-पौधों को लगाने की सलाह दी थी, जिनसे
वास्तुदोष का निवारण हो साथ ही पर्यावरण संतुलन भी बना रहे।
तुलसी- तुलसी को जीवनदायिनी और लक्ष्मी स्वरूपा बताया गया है। इसे घर में
लगाने से और इसकी पूजा अर्चना करने से महिलाओं के सारे दु:ख दूर होते हैं,
साथ ही घर में सुख शांति बनी रहती है। इसे घर के अंदर लगाने से किसी भी
प्रकार की अशुभ ऊर्जा नष्ट हो जाती है।
अश्वगंधा- इसके बारे में
कहा गया है कि यह वास्तु दोष समाप्त करने की क्षमता रखता है और शुभता को
बढ़ाकर जीवन को अधिक सक्रिय बनाता है।
आंवला- आंवले का वृक्ष घर की चहारदीवारी में पूर्व व उत्तर में लगाया जाना
चाहिए, जिससे यह शुभ रहता है। साथ ही इसकी नित्य पूजा-अर्चना करने से भी
सभी तरह के पापों का शमन होता है।
केला- घर की चहारदीवारी में
केले का वृक्ष लगाना शुभ होता है। इसे भवन के ईशान कोण में लगाना चाहिए,
क्योंकि यह बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधि वृक्ष है। केले के समीप यदि तुलसी
का पेड़ भी लगा लें तो अधिक शुभकारी रहेगा।
शतावर- शतावर को एक
बेल बताया गया है। इसे घर में लगाना शुभ फलदायी होता है। बशर्ते इसे घर में
कुछ इस तरह लगाएं कि यह ऊपर की ओर चढ़े।
अनार- इससे वंश वृद्धि होती है। आग्नेय में अनार का पेड़ अति शुभ परिणाम देने वाला होता है।
बेल- भगवान शिव को बेल का वृक्ष अत्यंत प्रिय है, इसको लगाने से धन संपदा की देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
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