इलाज है पलाश का पेड़!
कम खर्च में होगा सभी समस्याओं का निदान। चाहे हो आर्थिक समस्या, गंभीर रोग
या पाना चाहते हो संतान। यदि आप अपने कुंडली के ग्रहों के दुष्प्रभाव से पीड़ित है तो अवश्य करें ये उपाय।
भारतीय
पुरातन परम्परा व ज्योतिष शास्त्रों में ग्रहों के दोष निवारण हेतु में
पलाश के वृक्ष का भी एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। इस वृक्ष का
धार्मिक अनुष्ठानों में बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है। ऐसा माना जाता है
कि पलाश के वृक्ष में सृष्टि के तीन प्रमुख देवता ब्रह्मा, विष्णु, महेश का
निवास है। पलाश का उपयोग ग्रहों की शान्ति में किया जाता है। इसलिए यह
पेड़ हमारी विभिन्न समस्याओं का समाधान करने में लाभप्रद रहेगा।
व्यापार वृद्धि व आर्थिक समस्या निवारण हेतु-
जिस जातक को अधिक परिश्रम करने पर भी
व्यापार में सफलता नहीं मिल रही हो, तथा लगातार कर्ज की समस्या बढ़ रही
हो। वैसे व्यक्ति शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को पलाश की जड़ लें आएं।
इसे स्वच्छ जल से साफ, शुद्ध कर लें उसके पश्चात एक कमरे में सुविधानुसार
कोई स्थान चुन कर गंगाजल अथवा गोमूत्र से छींटे मारकर स्वच्छ कर लें तथा
एक लकड़ी का पाट पर लाल रेशमी कपड़ा विछाएं।
या पाना चाहते हो संतान। यदि आप अपने कुंडली के ग्रहों के दुष्प्रभाव से पीड़ित है तो अवश्य करें ये उपाय
पाट के बीच में 7 प्रकार अनाज लेकर सभी को मिलाकर एक ढेरी बनाएं। इस पर पलाश की जड़ रखें तथा इसी पर दीपक जलाएं। धूप जलाकर लक्ष्मी जी के किसी भी मन्त्र की 3 या 4 माला का जाप करें। उसके पश्चात अब इस जड़ को एक लाल कपड़े में बांधकर अपने गल्ले या धन रखने के स्थान पर रख दें। मां लक्ष्मी की कृपा से आपकी आर्थिक समस्यायें धीरे-धीरे दूर होकर आर्थिक सम्पन्नता आ जाएगी।
रोग निवारण हेतु-
पलाश
की जड़ को शुभ मुहूर्त में किसी रविवार के दिन में निकाल लें। इसे एक लाल
सूती धागे में लपेट कर दाहिनी भुजा में बांधने से किसी भी प्रकार का ज्वर
दूर हो जाता है।
सन्तान की प्राप्ति हेतु-
पलाश
का एक ताजा पत्ता 250 ग्राम दूध में उबालकर यदि कोई महिला गर्भधारण के
पूर्व से प्रारम्भ कर, गर्भाधारण के दो महीने बाद तक नियमित रूप से सेवन
करती है तो उसे पुत्र सन्तान की प्राप्ति होती है। पत्ते को उबालने के बाद
निकालकर फेंक दिया जाता है। केवल दूध का ही सेंवन किया जाता है।
ग्रहों के दुष्प्रभाव निवारण हेतु-
1-जिन व्यक्तियों का सूर्य ग्रह
पीडि़त होकर अशुभ फल दे रहा है, वे जातक पलाश की लकड़ी से हवन करें या फिर
लकड़ी को अभिमन्त्रित करके चांदी के लाकेट में गले में धारण करें।
2-नवग्रहों के कुप्रभाव से बचने के
लिए पलाश के पुष्प, गुलाब के पुष्प अथवा चमेली के पुष्प और तुलसी की
पत्तियां स्नान जल में डालकर उस जल से स्नान करना लाभकारी सिद्ध होगा। यह
प्रयोग लगातार 42 दिन तक करना चाहिए।
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