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Monday 3 October 2011

रत्न

रत्न चिकित्सा

रत्न और धारण विधिः- रत्न धारण करने पर कार्य न करने के दो कारण है
1. शरीर में दो प्रकार की नाड़ियां होती है- मोटर नर्ब्ज और सेन्सर नर्ब्ज इनमें कोई ग्रन्थी, जमाव हो गया हो, जिससे रक्त परिभ्रमण ठीक न हो रहा हो। अतः पहले इलाज करायें।
2.  टी0 बी0 या यक्ष्मा कीटाणुं ज्यादा बढ़ गये हैं तो रत्न काम नहीं करते। वात, पित्त कफ में अधिकता रहने से भी कई नाड़ियां अपना कार्य नहीं है।
अतः सल्फर 30 होमियो पैथ की खुराक लेने से रत्न कार्य करने लगते हैं।
क्योंकि रत्न भी एक औषधि ही हैं, परन्तु औषधि भी तभी फायदा करती है जब रोग की पूर्ण जानकारी के बाद दी जाती हैं।
ग्रह, रत्न, वजन और औषधिः-
1. सूर्यः-माणिक, तामड़ा, गारनेट। सोने अथवा ताम्र में धारण करना चाहिए। इसकी औषधि लाल चन्दन है इसका तिलक करना चाहिए।
महादशा में 6 रत्ती
अन्तर्दशा में 5.5 रत्ती
प्रत्यन्तर में 5.5 रत्ती
गोचर में 5.5              रत्ती
2. चन्द्रमाः-मोती, चन्द्रमणि, मूनस्टोन। चांदी में बनाकर कनिष्ठा उंगली में धारण करें। कपूर और मिश्री का सोमवार को सेवन करें।
महादशा में 10 रत्ती
अन्तर्दशा में 8 रत्ती
प्रत्यन्तर में 4 रत्ती
गोचर में 4        रत्ती
3. मंगलः-मूंगा, कहरवा, जिकांतमणि। त्रिलौह में बनाकर अनामिका उंगली में धारण करें। अनंत मूल खायें और खैर की समिधा से हवन करें।
महादशा में 8 रत्ती
अन्तर्दशा में 7 रत्ती
प्रत्यन्तर में 1.25 रत्ती
गोचर में 1.25          त्ती
4. बुधः-पन्ना, मरकत मणि, ओनेक्स। सोना, पारा या चांदी में बनाकर कनिष्ठा उंगली में धारण करें। गोरोचन का तिलक करें।
महादशा में 17 रत्ती
अन्तर्दशा में 6 रत्ती
प्रत्यन्तर में 3.5 रत्ती
गोचर में 3.5              रत्ती
5. गुरुः-पुखराज, सुनैला। प्रथमा में त्रिलौह में बनाकर धारण करें। औषधि केशर का तिलक करें।
महादशा में 16 रत्ती
अन्तर्दशा में 12 रत्ती
प्रत्यन्तर में 9 रत्ती
गोचर में 5.25          त्ती
6. शुक्रः-हीरा, जरकन, मोती, वैक्रान्त मणि। तर्जनी या कनिष्ठा में धारण करें। सफेद चन्दन का तिलक करें।
महादशा में 20 रत्ती  हीरा 20 सेन्ट
अन्तर्दशा में 7 रत्ती हीरा 7 सेन्ट
प्रत्यन्तर में 2 रत्ती हीरा 2 सेन्ट
गोचर में 2 रत्ती हीरा 2 सेन्ट
7. शनिः-नीलम, नीली, जमुनिया, लाजवर्त। मध्यमा उंगली में चांदी अथवा प्लेटिनम में धारण करें। कश्तूरी खायें अथवा तिलक करें।
महादशा में 19 रत्ती
अन्तर्दशा में 11 रत्ती
प्रत्यन्तर में 10 रत्ती
गोचर में 1.25 रत्ती
साढ़े साती में 5.25 रत्ती
ढइया में 1.25          त्ती
8. राहुः-गोमेद, लाजवर्त। मध्यमा उंगली में पंचधातु में बनाकर धारण करें। अगर-तगर का तिलक करें।
महादशा में 18 रत्ती
अन्तर्दशा में 11 रत्ती
प्रत्यन्तर में 8-9 रत्ती
गोचर में 6-7 रत्ती
9. केतुः-लहसुनिया, सूजमणि, फिरोजा। मध्यमा उंगली में पंचधातु में बनाकर धारण करें। अश्वगन्धा का तिलक करें।
महादशा में 12 रत्ती
अन्तर्दशा में 9 रत्ती
प्रत्यन्तर में 7 रत्ती
गोचर में 2.25 रत्ती
विषेशः-कलयुग के प्रभाव को देखते हुए कोई भी रत्न 5.25 रत्ती से कम होनेपर अपना प्रभाव नहीं दिखाता है। उससे कम वजन तब हो सकता है जब उसके साथ कोई अन्य रत्न धारण करना हो।
त्रिलौह
चांदी 62ः
तांबा 25ः
सोना 13ः
पंचधातु
चांदी 52ः
तांबा 25ः
लोहा 05ः
सोना 11ः
जस्ता 07ः

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