शनि को अनुकूल करने के सिद्ध उपाय
प्रतिकूल समय को अनुकूल कैसे करें
१. खाली पेट नाश्ते से पूर्व काली मिर्च चबाकर गुड़ या बताशे से खाएं.
२. भोजन करते समय नमक कम होने पर काला नमक तथा मिर्च कम होने पर काली मिर्च का प्रयोग करें.
३. भोजन के उपरांत लोंग खाये.
४. शनिवार व मंगलवार को क्रोध न करें.
५. भोजन करते समय मौन रहें.
६. प्रत्येक शनिवार को सोते समय शरीर व नाखूनों पर तेल मसलें.
७. मॉस, मछली, मद्य तथा नशीली चीजों का सेवन बिलकुल न करें.
८. घर की महिला जातक के साथ सहानुभूति व स्नहे बरते. क्योकि जिस घर में गृहलक्ष्मी रोती है उस घर से शनि की सुख-शांति व समृद्धि रूठ जाती है. महिला जातक के माध्यम से शनि प्रधान व्यक्ति का भाग्य उदय होता है.
९. गुड़ व चनें से बनी वस्तु भोग लगाकर अधिक से अधिक लोगों को बांटना चाहिए.
१०. उड़द की दाल के बड़े या उड़द की दाल, चावल की खिचड़ी बाटनी चाहिए. प्रत्येक शनिवार को लोहे की कटोरी में तेल भरकर अपना चेहरा देखकर डकोत को देना चाहिए. डकोत मिले तो उसमे बत्ती लगाकर उसे शनि मंदिर में जला देना चाहिए.
११. प्रत्येक शनि अमावस्या को अपने वजन का दशांश सरसों के तेल का अभिषेक करना चाहिए.
१२. शनि मृत्युंजय स्त्रोत दशरथ कृत शनि स्त्रोत का ४० दिन तक नियमित पाठ करें.
१३. काले घोड़े की नाल अथवा नाव की कील से बना छल्ला अभिमंत्रित करके धारण करना शनि के कुप्रभाव को हटाता है.
१४. जिस जातक के परिवार, घर में रिश्तेदारी, पड़ोस में कन्या भ्रूण हत्या होती है. जातक प्रयास कर इसे रोकेगा तो शनि महाराज उससे अत्यंत प्रसन्न होते है.


शनि को अनुकूल करने के सिद्ध उपाय
प्रतिकूल समय को अनुकूल कैसे करें
१५. कपूर को नारियल के तेल में डालकर सिर में लगायें, भोजन में उड़द की दाल का अत्यधिक सेवन करें, झूठ, कपट, मक्कारी धोखे से बचे, रहने के स्थान पर अँधेरा, सूनापन व खंडहर की स्थति न होने दे.
१६. शनिवार को काले तिल का कपडछन पावडर चुटकी दो बूंद सरसों का तेल पानी में डालकर तिलातेल स्नान करें.
१७. शनि मंदिर में काले चनें, कच्चा कोयला, काली हल्दी, काले तिल, काला कम्बल और तेल दे.
१८. शनि मंदिर में जाकर कम से कम परिक्रमा दंडवत प्रणाम करें.
१९. १६ शनिवार सूर्यास्त्र के समय एक पानी वाला नारियल, बादाम, कुछ दक्षिणा शनि मंदिर में चढायें.
२०. शनि मंदिर से शनि रक्षा कवच या काला धागा हाथ में बांधने के लिए अवश्य लें.
२१. शनि की शुभ फल प्राप्ति के लिए दक्षिण दिशा में सिराहना कर सोयें. व पश्चिम दिशा में मुख कर सारे कार्य करें व अपने देवालय में शनि का आसन अवश्य बनायेँ.
२२. प्रत्येक शुभ कार्य में पूर्व कार्य बाधा निवारण के लिए प्रार्थना करके हनुमान व शनि देव के नाम का नारियल फोड़े.
२३. प्रत्येक शनिवार को रात्रि में सोते समय आँखों में काजल या सुरमा लगायें व शनिवार का काला कपडा अवश्य पहने.
२४. महिलाओं से अपने भाग्य उदय के लिए सहयोग, समर्थन व मार्गदर्शन प्राप्त करें तो प्रगति होगी.
२५. अपनों से बड़ी उम्र वालें व्यक्ति का सहयोग प्राप्त करें व अपनी से छोटी जाती निर्बल व्यक्ति की मदद करें.
२६. प्रति महा की अमावस्या आने से पूर्व अपने घर व व्यापार की सफाई धुलाई अवश्य करें व तेल का दीपक जलाएं.
२७. शनि अमावस्या, शनि जयंती या शनिवार को बन पड़े तो शनि मंदिर में नंगे पैर जाएँ.
२८. घर बनाते समय काली टायल, काला मार्बल या काले रंग की कुछ वस्तु प्रयोग में लायें.


प्रतिकूल शनि को अनुकूल कैसे करें
 
१. शनि देव को वृद्धावस्था का स्वामी कहा गया है, जिस घर में माता पिता व वृद्ध जनों का सम्मान होता है उस घर से शनि देव बहुत प्रसन्न होते हैं तथा जिस घर में वृद्ध का अपमान होता है उस घर से खुशहाली दूर भागती है. जैसे-जैसे व्यक्ति वृद्ध होता है उसे भूख कम लगने लगती है. नींद कम आती है वह काम वासना से विमुख हो जाता है. उसमे लोक कल्याण की भावना जाग्रत हो जाती है. ये सभी गुण देवताओं के हैं. कहने का तात्पर्य है की वृद्ध अवस्था में व्यक्ति देवत्व प्राप्त करता है. इसलिए पाठको को शनि कृपा प्राप्त करने के लिए वृद्ध जनों की सेवा सर्वोपरि है.
२. शनि को दरिद्र नारायण भी कहते हैं इसलिए दरिद्रो की सेवा से भी शनि प्रसन्न होते हैं.
३. असाध्य व्यक्ति को काला छाता, चमडे के जूते चप्पल पहनाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं.
४. शनि देव को उड़द की दाल की बूंदी के लड्डू बहुत प्रिय है अत: शनिवार को लड्डू का भोग लगाकर बांटना चाहिए.
५. शनिवार को तेल मालिश कर नहाना चाहिए.
६. लोहे की कोई वस्तु शनि मंदिर दान करनी चाहिए. वह वस्तु ऐसी हो जो मंदिर के किसी काम आ सके.
७. शनि मंदिर में बैठकर ए श्री श्री शानेश्चारय का जाप करना चाहिए.
८. शनि से उत्पन्न भीषण समस्या के लिए भगवान भोलेनाथ व हनुमान जी की पूजा एक साथ करनी चाहिए. शनि चालीसा, शिव चालीसा, बजरंगबाण, हनुमान बाहुक व हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए.
९. शनि सम्बन्धी कथा पढ़े.
१०. नीलम रत्न के साथ पन्ना रत्न भी धारण करें.
११. मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं.

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१२. हर शनिवार और मंगलवार को काले कुत्ते को मीठा पराठा खिलायें.
१३. भैरव उपासना भी अनिष्ठो में सर्वाधिक लाभदायक है.
१४. ताप के रूप में शनिवार का श्री हनुमान जी व शनि मंदिर में पीपल का पेड़ हो तो संध्या के समय दीपक जलना शनि, हनुमान और भैरव जी के दर्शन अत्यंत लाभकारी है.
१५. शनि व्रत करें तथा एक समय बिना नमक का भोजन लें.