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Thursday 8 September 2011

वशीकरण तिलक


. तिलक प्राय: माथे पर लगाया जाता है. तथा माथे पर जिस स्थान पर होकर तिलक लगाया जाता है वहां पर होकर सुषुम्ना नाड़ी प्रवाहित होती है. सुषुम्ना नाड़ी ह्रदय से निकलकर मस्तिष्क के सम्मुख ब्रह्मरंद्र में जाती है. इस कारण तिलक आध्यात्मिक नजरिये से उन्नतिकारक होता है. हमारी ज्ञानेन्द्रियों का विचारक केंद्र बिंदु स्थल दोनों भोंहों और माथे का मध्य भाग होता है. अतः इस स्थान पर तिलक लगाने से हमारी इन्द्रियां प्रभावित होती हैं. तिलक लगाने से संकल्पों को बल मिलता है. तिलक का तांत्रिक नजरिये से बहुत महत्व है. किसी व्यक्ति को अनुकूल और वश में करने के लिए विशिष्ट वस्तुओ का मिश्रण बनाकर तिलक के रूप में प्रयोग किया जाता है.

सफ़ेद गुंजा को छाया में सुखाकर कपिला गाय के दूध में घिसकर तिलक करने से सभी लोग वश में हो जाते हैं. आंवले के रस में मेंसिल और असगंध मिलकर माथे पर तिलक करने से सभी व्यक्ति वश में हो जाते हैं

. रविवार के दिन काले धतूरे के फल पत्ते, शाखाओं, और जड़ों को लाकर उसमें कपूर, केसर और गौरोचन को मिलकर उन्हें पीस लें. इस मिश्रित पदार्थ का माथे पर तिलक करने से साक्षात् अरुंधती के सामान स्त्री भी वश में हो जाती है
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तिलक करके कभी भी सोना नहीं चाहिए.

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