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Wednesday 7 September 2011

ज्योतिष एवं रोग

ज्योतिष एवं रोग
हमारा शरीर पंच तत्वों से बना है। इन तžवों के असंतुलन से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। चरक संहिता के अनुसार त्रिदोषों का संबंध तžवों से है। वात-पित्त और कफ त्रिदोषों के असंतुलन से हमारा स्वास्थ्य प्रभावित होता है। वात का संबंध वायु तथा आकाश से, पित्त का संबंध अग्नि तथा जल से और कफ का संबंध जल तथा पृथ्वी से है। वात के असंतुलन से अपच, मरोड़, पीठ दर्द, शिथिलता, घबराहट, अधिक निद्रा, जोड़ों में दर्द या सूजन हो सकती है। पित्त के असंतुलन से त्वचा रोग, अधिक भूख-प्यास लगना, पाचन तंत्र कमजोर होना, अल्सर, जलन की शिकायत हो सकती है। कफ के असंतुलन से फेफड़ों से संबंधित बीमारी हो सकती हैं। तžवों के असंतुलन संबंधित बीमारी होने पर देव अर्चना करने से लाभ संभव है-
-आकाश तत्व- भगवान विष्णु की आराधना करें।
-अग्नि तत्व- देवी दुर्गा की आराधना करें।
-वायु तत्व-सूर्य की आराधना करें।
-जल तत्व- भगवान गणेश की पूजा करें।
-पृथ्वी तत्व- महादेव शंकर की आराधना करें।

- अनिल कुमार शर्मा

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