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Saturday 24 September 2011

संतानोत्पत्ति

संतानोत्पत्ति में ग्रहों की भूमिका



दाम्पत्य जीवन संतान सुख के बिना अधूरा है। संतान प्राप्त कर हर नारी अनुपम सुख की अनुभूति प्राप्त करती है। हर घर में बच्चे के जन्म के साथ असीम खुशी का आगमन होता है। लेकिन कुछ ऐसे दंपत्ति भी हैं जो इन खुशियों से वंचित होने के कारण हताश और परेशान हैं तो कुछ अपनी समस्या का सफल निदान ढूंढ लेते हैं। कुछ लोग संतान रूपी रत्न की प्राप्ति नहीं होने की वजह से आजन्म दुखी और कुंठित रहते हैं। लेकिन संतान प्राप्ति के बाद भी उन्हें दुख से छुटकारा नहीं मिलता, क्योंकि संतान सुखी नहीं होती। आइए हम संतान के सुख और ग्रहों की शांति के बीच के संबंधों पर गौर करें।
कुंडली में संतान का पंचम भाव होता है। देखें ग्रह वहां विराजमान होकर क्या असर देते हैं। यदि अशुभ असर देते हैं तो उनका उपाय निम्न प्रयोग से कीजिए।


सूर्य : पांचवें घर में उच्च का सूर्य हो या शुभ हो तो संतान की वृद्धि करता है, परंतु अशुभ सूर्य संतान में बाधक होता है। इसके लिए हनुमानजी को चोला चढ़ाएं, चने का भोग लगाएं अथवा बंदरों की सेवा फल से करें।

चंद्र : संतान भाव में चंद्रमा अशुभ फल दे रहा हो तो अपने शयन कक्ष में पलंग के नीचे तांबे की प्लेट रखें।

मंगल : यदि संतान भाव में मंगल अशुभ फल दे रहा हो या गर्भस्थ में बीच में तकलीफ आ रही हो तो मंगलवार के दिन हनुमानजी के पैर में नमक छुआकर नारी कमर में बांध ले। अनुकूलता आएगी।

बुध : बुध पांचवें घर में अशुभ फल दे रहा हो तो चतुर्थी के दिन चांदी खरीदें एवं धारण करें। स्नान में कुट का प्रयोग करें।

गुरु : गुरु पांचवें घर में संतान के लिए बाधक हो तो गुरुवार को केसर का तिलक चंदन के साथ करें एवं पीली हल्दी, पीला चंदन गुरु मंदिर में दान करें।

शुक्र : शुक्र यदि संतान भाव में स्थित होकर बाधा दे रहा हो तो सफेद कपड़ा, चंदन, इत्र, दही एवं सुगंधित सफेद फूल का दान करें।

शनि : शनि पांचवें घर में संतान के लिए बाधक हो तो काले तिल जमीन में दबा दें एवं लोहे की कील, चाकू शनि मंदिर में दान करें।

राहु : राहु यदि पांचवें घर में बाधक हो तो अपने पास चांदी का चौकोर पतरा रखें एवं लोहे की अंगूठी मध्यमा में पहनें।


केतु : केतु पाँचवें घर में स्थित होकर संतान बाधक हो तो किसी कोढ़ी या गरीब व्यक्ति को कंबल दान करें एवं मंगल के दिन दोपहर में सीसे की अंगूठी गोमूत्र में धोकर धारण करें।

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