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Friday 23 September 2011

छोटी-छोटी पत्तियों से घरेलू उपचार

छोटी-छोटी पत्तियों से घरेलू उपचार

. वृक्षों की पत्तियां अनेक गुणों से परिपूर्ण हुआ करती है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त ये पतियां न सिर्फ हरियालियां ही देती हैं, बल्कि इन पत्तियों में स्वास्थ्य रक्षा के अनेक सूत्र भी छिपे होते हैं। पतियों में पाए जाने वाले चमत्कारी गुणों को इस प्रकार जाना जा सकता है-

अमरूद की पतियां : अमरुद के पत्तों को कूटकर, लुगदी बनाकर उसे गर्म करके लगाने से गठिया की सूजन दूर हो जाती है। अमरुद के पत्तों को पीसकर उसका रस निकालकर उसमें स्वादानुसार चीनी मिलाकर नित्य पीते रहने से स्वप्नदोष की बीमारी में लाभ होता है। अमरूद की ताजी पत्तियों का रस 10 से 20 मि.ली तक नित्य सुबह-शाम पीने से ल्यूकोरिया नामक बीमारी में अप्रत्याशित लाभ पहुंचाता है।

चम्पा की पत्तियां : चम्पा फूल की पत्तियों को पीसकर उसमें बराबर मात्रा में पानी मिलाकर पीने से पित्त विकार, रक्त विकार एवं पेट के कृमियों में अत्यंत लाभ होता है। इसकी पत्तियों को चबाकर रस चूसने से दांत की कीड़े नष्ट हो जाते हैं तथा पायरिया रोग में लाभ होता है।

अंजीर की पत्तियां : अंजीर के पत्तियों के रस के सेवन से रक्तिपित्त, रक्तिविकार, वायुविकार आदि का नाश होता है तथा शरीर पुष्ट होता है। श्वेत कुष्ठ वाले स्थान पर अंजीर के पत्तों की लुगदी नित्य बदल-बदल कर लगाते रहने से लाभ होता है।

बनफ्सा की पत्तियां : बनफ्सा की पत्तियों को थकूच कर लुगदी बना लें और उसे घाव, सूजन, पर बांधने से तथा उसका काढ़ा बनाकर पीने से बुखार व मूत्र रोगों में फायदा होता है।

अन्नास की पत्तियां : अनन्नास की सफेद पत्तियों के ताजे रस में चीनी मिलाकर सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। यह विरेचन का काम भी करता है। इसके रस को अधिक मात्रा में पीने से उल्टियां हो सकती हैं।

चिरयता की पत्तियां : ज्वर में चिरयता की पतियों को पीने से लाभ होता है। इसकी पत्तियों को पानी के साथ गर्म करके काढ़ा बनाकर पीने से ज्वर में तथा पत्तियों को भिंगोकर उसके पानी को छानकर पीने से रक्त में स्थित दोष समाप्त हो जाते हैं।

चौलाई की पत्तियां : चौलाई की पत्तियों को पानी के साथ उबालकर उस पानी में नमक डालकर पीने से पेट दर्द या दस्त साफ न आने में लाभ होता है। पिपरमेंट की पत्तियों के रस को सूंघने से सर्दी, सिरदर्द व जुकाम में अत्यन्त लाभ पहुंचाता है।

अडूसा की पत्तियां : अडूसा की 3-4 पतियों को पीसकर उसका रस निकाल लें। रस में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर दिन में तीन बार चाटने पर खांसी से आराम मिल जाता है। लहसुन के पत्तों को पीसकर दाद पर लगाते रहने से आराम होता है। नींबू की पत्तियों के रस को फोड़े फुंसियों पर लगाते रहने से वे ठीक हो जाते हैं।

अनार की पत्तियां : अनार की ताजी पत्तियों के साथ काली मिर्च (गोलकी) को पीसकर इसे 100 ग्राम पानी में

मिलाकर सुबह-शाम पीते रहने से महिलाओं की बीमारी श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) में अप्रत्याशित लाभ होता है।

आम की पत्तियां : आम के पत्तों की भस्म जले हुए स्थान पर नारियल तेल में मिलाकर लगाने से आराम होता है। आम के पत्तियों को थकूच कर पानी में डालकर काढ़ा बनाकर पीते रहने से प्रदर की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। इसमें स्वादानुसार चीनी मिलायी जा सकती है।

बिल्व पत्र : बेल के पत्तों को पानी में पीसकर माथे पर लेप करने से मस्तिष्क की गर्मी शांत होती है तथा नींद खूब आती है। बेल की पत्तियां 15 नग, बादाम की गिरियां 2 नग तथा मिश्री 250 ग्राम को मिलाकर, पीसकर आंच पर पका लें। जब शर्बत की तरह बन जाये तो उतार कर ठंडा करके पीते रहने से एक माह के अंदर ही नपुसंकता दूर हो जाती है। मंद आंच पर बेल की पत्तियों को भूनकर बारीक पीसकर कपड़े से छान लें और शीशी में भरकर रख लें। 1 ग्राम की मात्रा में प्रात: सायं शहद के साथ मिलाकर चाटते रहने से कुक्कुर खांसी (हूपिंग कफ) में आराम मिलता है।

पपीते की पत्तियां : पपीते के पत्तों को कूटकर उनकी लुगदी बना लें। इसे हाथीपाव (फिलपांव) नामक बीमारी पर बांधते रहने से धीरे-धीरे उसकी सूजन कम होकर ठीक होने लगती है।

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