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Tuesday 27 September 2011

लक्ष्मी प्रदाता यंत्र

सर्व सिद्धिदाता लक्ष्मी प्रदाता यंत्र

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आपको पन्द्रह के नम्बर के बारे में पता होगा,यह संख्या हमेशा से ऊनी गिनी जाती है,और इस यन्त्र के अन्दर एक से लेकर नौ तक की संख्याओं को इस प्रकार से लिखा जाता है,कि जिधर से भी जोडा जाये,सभी तरफ़ से जोड का योग केवल पन्द्रह ही आता है,चाहे दाहिने से जोडे या बांये से,ऊपर से जोडें या नीचे से किसी तरफ़ से जोडने पर भी योगफ़ल केवल पन्द्रह का ही आता है,यह नवग्रह यन्त्र के रूप में मान्यता रखता है,जैसे एक नम्बर सूर्य का दो नम्बर चन्द्र का तीन नम्बर गुरु का और चार नम्बर प्लूटो का,पांच नम्बर बुध का,छ: नम्बर शुक्र का,सात नम्बर राहु का,आठ नम्बर शनि का और नौ नम्बर मंगल का माना जाता है.इन सब ग्रहों को शुक्र के नम्बर छ: में ही बान्ध कर रखा गया है,जो योगफ़ल पन्दर का आता है,उसे अगर जोडा जाये तो एक और पांच को मिलाकर केवल छ: ही आता है,किसी भी ग्रह को शुक्र के रंग में रंगने का काम यह यन्त्र करता है,और शुक्र ही भौतिक सुख का प्रदाता है,किसी भी संसार की वस्तु को उपलब्ध करवाने के लिये शुक्र की ही जरूरत पडती है,प्रेम की देवी के रूप में भी इसे माना जाता है,और भारतीय ज्योतिष के अनुसार शुक्र ही लक्ष्मी का रूप माना जाता है

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