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Wednesday 3 August 2011

चिन्ता मुक्त करने वाला मंत्र

चिन्ता मुक्त करने वाला मंत्र
 व्यक्ति के जीवन में कई बार यह स्थिति आ जाती है कि क्या करूं, क्या नहीं करूं। ऐसी किंकर्तव्यविमूढावस्था में जब कुछ नहीं सूझ रहा हो, तब रात्रि में सोने से पूर्व हाथ-पैर धोकर आसन बैठकर भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करें और गीता के दूसरे अध्याय का सातवाँ श्लोक यथासंभव(कम से कम एक माला) जपें।
इससे रात्रि में मार्ग दिखाने वाला स्वप्न आएगा अथवा सवेरे उठने पर अनिश्चय की स्थिति अपने आप समाप्त होकर अपने कल्याण लायक मार्ग दिखने लगेगा। बेहतर यह होगा कि यह प्रयोग एकादशी की रात को शयन से पूर्व किया जाए।
कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः
पृच्छामि त्वां धर्मसंमूढचेताः।
यच््रछेयः स्यान्निश्चितं ब्रूहितन्मे
शिष्यस्तेऽहं शाधिमां त्वां प्रपन्नम्।।

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