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Wednesday 3 August 2011

हस्तरेखा और उपाय

हस्तरेखा और उपाय-बाबाज्ञानदेव तपस्वी

अंगुलियों की मुद्रा द्वारा अनेक दोष पूर्ण रेखाओं से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। तपस्वी लोग तपस्या के अवस्था में अपने
अंगुलियों को विशेष स्थिति में रखते हैं जिसे हम मुद्रा कहते हैं। मुद्राओं का उद्देश्य मस्तिष्क के कुछ केन्द्रों को अतिरिक्त शक्ति प्रदान करके लाभ देना होता है।
हृदय रेखा का दोष दूर करने का उपाय
यदि आपके हाथ में हृदय रेखा दोषपूर्ण हो तो व्यक्ति को रक्तचाप और हृदय रोग होता है। ऐसी अवस्था में जातक अनेक प्रकार के औषधि लेता है पर उसे लाभ नहीं होता है। यदि आप हृदय रेखा के दोष से बचाव चाहते हैं तो कनिष्ठका अंगुली को छोड़कर अन्य तीनों अंगुलियों के सिरों को अंगूठे के सिरे से मिलाएं तो जो मुद्रा बनती है। इसका नित्य अभ्यास करने से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यह मुद्रा प्रातःकाल करने से अधिक लाभ मिलता है।
मस्तक रेखा का दोष दूर करने का उपाय
यदि मस्तिच्च्क रेखा दोषपूर्ण हो तो जातक को स्नायु से संबंधी अनेक रोग होते हैं। ऐसी स्थिति में परस्पर तर्जनी और अंगूठा को मिलाकर मुद्रा बनायें। इस मुद्रा का नित्य अभ्यास करने से से गुरु पर्वत के दोष नष्ट हो जाते हैं। यह मुद्रा प्रतिदिन प्रातःकाल एवं सायंकाल में 15 मिनट करनी चाहिए।

जीवन रेखा का दोष दूर करने का उपाय

यदि जीवन रेखा दोषपूर्ण हों तो जातक के जीवन में अनेक दुर्घटना एवं शारीरिक कष्ट व रोग उत्पन्न होते हैं जिनसे उसे कष्ट उठाना पड़ता है।

ऐसी स्थिति में कनिष्ठका और अनामिका को अंगूठे से मिलाकर मुद्रा बनायें। इस मुद्रा को करने से शुक्र पर्वत, मंगल पर्वत, जीवनरेखा, बुधरेखा आदि का दोष नष्ट होता है तथा जातक को
अच्छा फल मिलता हैं।

शनि दोष दूर करने के उपाय
यदि शनि पर्वत में या शनि रेखा में दोष हो तो तर्जनी को मोड़कर उसे शुक्र पर्वत पर लगायें। सभी अंगुलियां और अंगूठा अलग रखें। यह मुद्रा शानि रेखा एवं शनि पर्वत के दोष को नष्ट करती है तथा अनेक रोग से रक्षा करती है।

बुध दोष दूर करने के उपाय
यदि बुध रेखा अथवा बुध पर्वत में कोई दोष हो तो उसको दूर करने के लिए बायें हाथ की तर्जनी का सिरा दाएं हाथ की तर्जनी और मध्यमा से जोडं+े। यह मुद्रा करने से बुध का दोष दूर हो जाता है। उदर व शरीर के किसी भाग में गैस एकत्रा होने पर भी इस मुद्रा द्वारा लाभ पाया जा सकता है।
ये उपाय करते समय ध्यान रखें-
उक्त मुद्राएं बारी-बारी से दोनों हाथों द्वारा करना चाहिए।

यदि रेखाओं में दोष न हो तो भी इन मुद्राओं को दो-चार मिनट अभ्यास करने से इसका लाभ तन के अनेक रोग दूर करने में होता है और तन को शक्ति प्रदान होती है।

सदाचार सबसे अच्छा उपाय है जिसे जीवन में अपनाने से समस्त ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है।
गौ ग्रास अर्थात्‌ चौके से गाय, कौए और कुत्ते के लिए रोटी निकालकर प्रतिदिन देने से भी ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है।

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