बरगद - बरगद को "वट वृक्ष" या ब़ड के वृक्ष के नाम से जाना जाता है। यह सर्व सुलभ है। महिलाएं "वट-सावित्री" व्रत में इस वृक्ष की पूजा करती हैं। इसमें तने के चारों ओर जटायें लटकती रहती हैं।
प्रयोग रविवार को जब चंद्रमा पुष्य नक्षत्र पर हों तब बरगद वृक्ष की जटा ले आएं तथा इसे सुखाकर अगले रविवार को जलाकर राख को कप़डछन करके रख लें। इस चूर्ण से दाँतों का मंजन करने से दाँतों के रोग दूर हो जाते हैं।
किसी पुराने बरगद वृक्ष के नीचे यदि कहीं स्व-उत्पन्न कोई छोटा बरगद का पौधा मिल जाये तो सौभाग्य का सूचक होता है। पुराने वृक्ष के नीचे इसकी सुरक्षा का पूर्ण बंदोबस्त कर देना चाहिये, जिससे कोई पशु-पक्षी या मनुष्य इसे क्षति नहीं पहुँचाये। जब कभी "रवि-पुष्य" योग पडे़ तब इस पौधे को ज़ड सहित उख़ाड कर लाएं और किसी सुरक्षित स्थान बाग या बगीचे में लगा दें तथा इसका पालन करते रहें। जैसे-जैसे यह पे़ड ब़डा होता जाता है, वैसे ही पे़ड लगाने वाले का आर्थिक ऎश्वर्य भी बढ़ता जाता है।
प्रयोग रविवार को जब चंद्रमा पुष्य नक्षत्र पर हों तब बरगद वृक्ष की जटा ले आएं तथा इसे सुखाकर अगले रविवार को जलाकर राख को कप़डछन करके रख लें। इस चूर्ण से दाँतों का मंजन करने से दाँतों के रोग दूर हो जाते हैं।
किसी पुराने बरगद वृक्ष के नीचे यदि कहीं स्व-उत्पन्न कोई छोटा बरगद का पौधा मिल जाये तो सौभाग्य का सूचक होता है। पुराने वृक्ष के नीचे इसकी सुरक्षा का पूर्ण बंदोबस्त कर देना चाहिये, जिससे कोई पशु-पक्षी या मनुष्य इसे क्षति नहीं पहुँचाये। जब कभी "रवि-पुष्य" योग पडे़ तब इस पौधे को ज़ड सहित उख़ाड कर लाएं और किसी सुरक्षित स्थान बाग या बगीचे में लगा दें तथा इसका पालन करते रहें। जैसे-जैसे यह पे़ड ब़डा होता जाता है, वैसे ही पे़ड लगाने वाले का आर्थिक ऎश्वर्य भी बढ़ता जाता है।
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