गणेश यंत्र सर्व सिद्धि दायक व नाना प्रकार की उपलब्धियों व सिद्धियों के देने वाला है,इसमें देवताओं के प्रधान गणाध्यक्ष गणपति का ध्यान किया जाता है। एक हाथ में पास एक अंकुश एक में मोदक एवं वरद मुद्रा में सुशोभित एक दन्त त्रिनेत्र कनक सिंहासन पर विराजमान गणपति की स्तुति की जाती है। इस यंत्र के प्रभाव से और भक्त की आराधना से व्यक्ति विशेष पर रिद्धि सिद्धि की वर्षा करते हैं,साधक को इष्ट कृपा की अनुभूति होने लगती है। उसके कार्यों के अन्दर आने वाली बाधायें स्वत: ही समाप्त हो जातीं हैं,व्यक्ति को अतुल धन यश कीर्ति की प्राप्ति होती है,रवि पुष्य गुरु पुष्य अथवा गणेश चतुर्थी को इस यंत्र का निर्माण किया जाता है,इन्ही समयों में इस यंत्र की पूजा अर्चना करने पर सभी कामनायें सिद्धि होती हैं।
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