- कार्यस्थल पर अधिक से अधिक पीले रंग का प्रयोग करें। पूजाघर में हल्दी की माला लटकाएं। भगवान लक्ष्मी नारायण के मंदिर में लड्डुओं का भोग लगाएं।- शनिवार के दिन रक्तगुंजा के इक्कीस दाने बांधकर तिजोरी में रख दें। हर रोज दीप अवश्य लगाएं।- महीने के प्रथम गुरूवार से इस प्रयोग को शुरू करें नियमित रूप से186 दिन तक इस प्रयोग को करें। रोज पीपल या बरगद के नीचे चौ मुखी दीपक लगाएं। एक पाठ विष्णुसहस्त्रनाम रोज करें।- हर शाम गोधुली बेला में लक्ष्मी जी की तस्वीर के समक्ष गाय के घी का दीपक लगाएं। दीपक जलाने के बाद उसके अंदर अपने इष्ट देव का ध्यान करके एक इलायची डाल दें। इस प्रयोग को नियमित रूप से 186 दिन तक दोहराएं।- मिट्टी के पांच पात्र लेकर उसमें हर पात्र में सवा किलो जौ, सवा किलो उड़द, सवा किलो साबुत मुंग, सवा किलो सफेद तिल, सवा किलो पीली सरसों इन सभी को पांच पात्रों में भरकर पात्र के मुंह को लाल कपड़े से बांध दे। व्यवसायिक स्थल पर इन पांचों कलश को रख दें। एक साल बाद इन सभी पात्रों को अपने ऊपर से उतारकर नदी में प्रवाहित करें।
We cannot change the circumstances in which our soul chose to be born, but we can definitely change the circumstances in which we grow.ASTROLOGY, VASTU SASTRA, AURA, AROMA. SHIVYOG,ARTOF LIVING, ISHAYOG,OSHO AND NEWAGE MEDITATION अध्यात्म, ज्योतिष, यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र, वेद, पुराण, इतिहास, गुढ़-रहस्य समस्त समस्या का निराकरण सम्भव नहीं है, मात्र कुछेक समस्या का ही समाधान सम्भव है। Accurate Horoscope Analysis and Remedies for All Problems
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Saturday 2 July 2011
बिजनेस में निश्चित सफलता प्राप्त करें
- कार्यस्थल पर अधिक से अधिक पीले रंग का प्रयोग करें। पूजाघर में हल्दी की माला लटकाएं। भगवान लक्ष्मी नारायण के मंदिर में लड्डुओं का भोग लगाएं।- शनिवार के दिन रक्तगुंजा के इक्कीस दाने बांधकर तिजोरी में रख दें। हर रोज दीप अवश्य लगाएं।- महीने के प्रथम गुरूवार से इस प्रयोग को शुरू करें नियमित रूप से186 दिन तक इस प्रयोग को करें। रोज पीपल या बरगद के नीचे चौ मुखी दीपक लगाएं। एक पाठ विष्णुसहस्त्रनाम रोज करें।- हर शाम गोधुली बेला में लक्ष्मी जी की तस्वीर के समक्ष गाय के घी का दीपक लगाएं। दीपक जलाने के बाद उसके अंदर अपने इष्ट देव का ध्यान करके एक इलायची डाल दें। इस प्रयोग को नियमित रूप से 186 दिन तक दोहराएं।- मिट्टी के पांच पात्र लेकर उसमें हर पात्र में सवा किलो जौ, सवा किलो उड़द, सवा किलो साबुत मुंग, सवा किलो सफेद तिल, सवा किलो पीली सरसों इन सभी को पांच पात्रों में भरकर पात्र के मुंह को लाल कपड़े से बांध दे। व्यवसायिक स्थल पर इन पांचों कलश को रख दें। एक साल बाद इन सभी पात्रों को अपने ऊपर से उतारकर नदी में प्रवाहित करें।
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