Search This Blog

Tuesday 5 July 2011

वास्तु दोषः विनाश के तांडव से बचाएंगे 6 चमत्कारी उपाय


 विनाश-ईशान कोण! ईशान कोण और विनाश, क्या है दोनों में संबंध। ईशान कोण में क्या करें और क्या न करें? क्या ईशान कोण का संबंध विकास और संपत्ति से है? क्या विनाश से बचाएगा ईशान कोण? बताएंगे... पंडित वैभवनाथ शर्मा।
वास्तु शास्त्र में ईशान कोण का वृहद् महत्व्य बताया गया है। यह वह स्थान है जिस पर गुरु ग्रह व्र्हस्पति का अधिपत्य है। साथ ही यहां वास्तु पुरुष का मस्तक भी है जिसे महादेव शिव का शीश होने की संज्ञा भी दी जाती है। शायद ऐसा इसलिए है क्योंकि उत्तर और पूर्व दोनों ही शुभ उर्जा के विशेष महत्व्यपूर्ण स्रोत है।
वास्तु दोषः विनाश के तांडव से बचाएंगे 6 चमत्कारी उपाय
इसलिए इसका शुद्ध, साफ़ सुथरा होना आवश्यक है। यदि ईशान में दोष हो जाये तो उस घर के सभी सदस्यों का विकास अवरुद्ध हो जाता है, विवाह योग्य कन्या हो तो विवाह में बाधा आती है। सामाजिक अपयश, गंभीर रोग आदि घर कर जाते है। हर प्रकार की समृद्धि के लिए इस स्थान का जागृत होना बेहद अनिवार्य है।



क्या हो-
- यहां तुलसी का पौधा लगा कर, सालिगराम व शिव को रख कर पूजा करने से सम्पन्नता आती है।
- इस स्थान पर यदि प्रवेश द्वार हो तो मां लक्ष्मी की निरंतर कृपा बनी रहती है।
- यह स्थान पूजा पाठ का सबसे उपयुक्त स्थान है।
- इस स्थान को साफ़ सुथरा रखना घर के हर सदस्य की नैतिक ज़िम्मेदारी है।
- इस स्थान पर जल क्षेत्र होना बेहद लाभ देता है।
- इस स्थान को कभी भूल से भी बंद न करे।

No comments:

Post a Comment