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Wednesday 22 June 2011

yantra

Battisa_Yantra

बत्तीसा यन्त्रBattisa_yantra
१॰ नेत्र-रोग-नाशक प्रयोगः-

प्रतिदिन प्रातः हल्दी को गङ्गा-जल में घिसकर अनार की कलम से कांस्य-पत्र में उपर्युक्त बत्तीसा यन्त्र को लिखे । इस प्रकार लिखे गए ‘बत्तीसा-यन्त्र’ के मधऽय में घृत से पूर्ण, ताम्र का चार बत्तियों वाला ‘दीपक’ स्थापित करे । ‘दीपक’ में चार बत्तियाँ, चारों कोनों की ओर जलती हुई स्थापित करे । तब गन्ध, अक्षत-पुष्प से यन्त्र का पूजन करे । फिर पूर्व की ओर मुख कर बैठे और “ॐ ह्रीं हंसः” मन्त्र का जप करे । जप संख्या- १२०० और जप-माला हल्दी की होनी चाहिए ।
२॰ सर्वदुःख निवारण प्रयोगः-
किसी शुभ रविवार के दिन भोजपत्र अथवा शुद्ध सादा कागज पर हल्दी के रस (घोल) की स्याही से अनार की कलम से इस यंत्र को तैयार कर पूजा-अर्चना करें। यंत्र के पीछे (दूसरी ओर) अपनी समस्या लिखें। यंत्र लिखित भोजपत्र को शुद्ध रुई में रखकर उसको बत्ती की तरह लपेट कर उसे जलायें। जब यंत्र की वह बत्ती जलने लगे तब उसे किसी चीज के सहारे टिका दें और निम्नलिखित मंत्र का हल्दी की माला (१०८ मनके) से ११ माला का जप करें यह प्रक्रिया लगातार सात रविवार तक करना लाभप्रद रहता है।
मन्त्रः- “ॐ ह्रीं हंसः”

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