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Friday 24 June 2011

Religious importance of Five. [पञ्च का धार्मिक महत्व ]


Religious importance of Five. [पञ्च का धार्मिक महत्व ]
पंचदेव : सूर्य, गणेश , शिव , शक्ति और विष्णु ये पंचदेव कहलाते है. सूर्य को दो परिक्रमा, गणेश को एक, शक्ति को तीन, विष्णु की चार तथा शिव की आधी परिक्रमा की जाती है.
पंच उपचार पूजा : गंध, पुष्प, धुप, दीप, और नैवेध अर्पित करना पञ्च उपचार पूजा कहलाती है.
पंच पल्लव : पीपल, गुलर, अशोक, आम और वट के पत्ते सामूहिक रूप से पंच पल्लव के नाम से जाने जाते है.
पंच पुष्प : चमेली, आम, शमी (खेजड़ा), पदम (कमाल) और कनेर के पुष्प सामूहिक रूप से पंच पुष्प के नाम से जाने जाते है.
पंच गव्य : भूरी गाय का मूत्र (८ भाग), लाल गाय का गोबर (१६ भाग ), सफ़ेद गाय का दूध (१२ भाग), काली गाय का दही (१० भाग), नीली गाय का घी (८ भाग ) का मिश्रण पंच गव्य के नाम से जाना जाता है.
पंच गंध : चूर्ण किया हुआ, घिसा हुआ, दाह से खीचा हुआ, रस से मथा हुआ, प्राणी के अंग से पैदा हुआ , ये पंच गंध है.
पंचामृत : दूध, दही, घी, चीनी, शहद का मिश्रण पंचामृत है.
पंच मेवा : काजू, बादाम, किसमिस , छुआरा, खोपरागित (नारियल का खोपरा ), पंच मेवा है.
पंचांग : तिथि, वार, नक्षत्र, करण, और योग को सम्मिलित रूप से दर्शाया जाने वाली तालिका को पंचांग कहते है.
अगर हम ज्योतिष से हिसाब से सोचे तो सूर्य, चन्द्रे , राहू, केतु को छोड़ दे तो केवल पांच स्थूल ग्रह बचते है :
बुध, मंगल, शुक्र, बृहस्पति और शनि, यह पंच ग्रह है, इसी प्रकार पंच तत्त्व [आकाश, वायु, जल, अग्नि, भूमि ], भी ऊपर के पंच को सम्भोधित करते है.

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