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Monday 27 June 2011


मधुमेह और रत्न चिकित्सा(Diabetes and Gem Therapy)


ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मधुमेह यानी डयबिटीज का सामना उस स्थिति में करना होता है | जबकि कर्क, वृश्चिक अथवा मीन राशि में पाप ग्रहों की संख्या दो या उससे अधिक रहती है | लग्नपति के साथ बृहस्पति छठे भाव में हो तुला राशि में पाप ग्रहों की संख्या दो अथवा उससे अधिक हो तो इस रोग की संभावना बनती है | अष्टमेश और षष्ठेश कुण्डली में जब एक दूसरे के घर में होते हैं तब भी इस रोग का भय रहता है | रत्न चिकित्सा के अन्तर्गत इस रोग में मूंगा और पुखराज धारण करना लाभप्रद होता है |

न्त रोग और रत्न ज्योतिष (Dental Problem and Gemstone)


दांतों का स्वामी बृहस्पति होता है | कुण्डली में बृहस्पति के पीड़ित होने पर दांतों में तकलीफ का सामना करना होता है | ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बृहस्पति जब नीच राशि में होता है अथवा द्वितीय, नवम एवं द्वादश भाव में होता है, तब दांत सम्बन्धी तकलीफ का सामना करना होता है | मूंगा और पुखराज इस रोग में लाभदायक होता है | लोहे का कड़ा घारण करना भी इस रोग में अनुकूल लाभ देता है |


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