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Saturday 11 June 2011

क्या ह्मे दान करना चाहिए या नही

क्या ह्मे दान करना चाहिए या नही

जो ग्रह किसी की जन्म कुण्डली मे उच्च का अपने पक्के भाव का हो उस ग्रह से सम्बन्धित वस्तुऑ का दान नही करना चाहिए

ब्रहसप्ति चतुर्थ भाव या नवम भाव मे हो तो पुस्तको सोना आदि का दान नही करना चाहिए

इसी प्रकार मंगल दशम भाव मे हो तो मिठाई लाल मसुर की दाल का दान नही करना चाहिए

चन्द्र दितीय चतुर्थ भाव मे चावल चीनी दुध का दान न दे

इसी प्रकार अन्य ग्रहो का दान करे जॅसे शनि लगन या आष्ट्म भाव मे हो तो किसी से मुफ्त मे बिना पेसे दिये शराब नही पीनी चाहिए बल्कि पिलानी चाहिए

ततीय भाव मे शनि हो तो उस को दूसरे के पॅसो से शराब पीनी चाहिए

सप्तम मे शनि हो तो लोगो को पिलाए नही बल्कि उन से मुफ्त मे पीऍ

यदि ब्रहसप्ति सप्तम भाव मे हो तो जात्क को साधु सन्यासी पुजारी अथवा किसी भी धर्म के मठाधीश को नए वस्त दान नही देना चाहिए उस को यह दान धन हानि कराएगा, कपडे तक बिक्वा देगा

यदि ब्रहसप्ति दशम भाव चन्द्रमा चतुर्थ भाव मे हो तो व्यक्ति को पूजा स्थान मन्दिर मस्जिद गुरुद्धारा अपने धन से आम जनता के लिए बनवाए तो झूठे आरोपो मे फासी तक हो सकती हॅ

यदि चन्द्र षष्ठ भाव मे सथत हो जातक दूध या पानी का दान करे जनता के लिए प्याउ कुआ नल तालाब आदि बनवाए या उन की मुरम्मत के लिए धन का दान करे तो परिवार के लिए अशुभ फल होगा म्रत्यु सिर पर मण्डराती रहेगी

चन्द्र दादश भाव – यदि किसी धार्मिक व्यक्ति या साधु को प्रति दिन रोटी खिलाये या छोटे बच्चो के लिए नि शुल्क शिक्षा का प्रबन्ध करे या स्कुल आदि खोले तो जातक को ऍसा कष्ट आऍगे कि अन्त समय तक कोई पानी पूछने वाला नही होगा

सूर्य सप्तम भाव या अष्टम मे प्रात ऑर साय को दिया दान विष के बराबर होगा दोपहर के समय किया गया दान शुभ फल देगा

शनि लगन मे ब्रहसप्ति पंचम भाव मे यदि भिखारी को ताम्बे का बरतन आदि दान दे तो सन्तान को म्रत्यु तुल्य कष्ट या म्रत्यु हो सकती हॅ

नवम भाव मे शुक्र हो ऑर जातक यदि किसी अनाथ बच्चे गोद मे ले या अपने घर मे रखे उन को किताबी या फीस के लिए धन आदि दे तो उस की मिट्टी खराब यानि धन हानि अधिक होगी

शनि अष्ट्म भाव मे जातक यदि सराय धर्म्शाला यात्री निवास बनाये तो आप बेघर ऑर निर्धन हो जाएगे

जब राहु बुरा होता नीलम की अंगुठी नही पहन्नी चाहिए, वह कन्या की कुण्ड्ली मे राहु के बुरे प्रभाव से बचने के लिए ब्रहसप्ति मे लिखी विधि के अनुसार कन्या को कनयादान के समय चान्दी की ईट २० ग्राम की जो आयताकार हो दे कन्या इस ईट को अपने गहने वाले बाकस मे दे विशे्षकर जब राहु लग्न त्र्तीय सप्तम नवम भाव मे हो

इस प्रकार वर या कन्या की कुण्ड्ली मे केतू अशुभ फलदाय हो ता उपरोक्त विधि के अनुसार दो लहसुनिया के दो टुकडे या काला सफेद पत्थर के दो टुक्डे लेकर कन्या दान के समय कन्या के सीधे हाथ पर रखे ऑर उनमे एक नदी मे प्रवाह करे ऑर दूसरा कन्या सदा गहने के डब्बे मे रखे

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