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Wednesday 22 June 2011

सफल जीवनयापन के अनुभूत एवं चमत्कारिक प्रयोग

सफल जीवनयापन के अनुभूत एवं चमत्कारिक प्रयोग

सवेरे उठने के बाद एक लोटा पानी पीएं। जब भी लघुशंका या शौच के लिए जाएं, दाँत भींचकर रखें, इससे दाँत मजबूत रहते हैं। स्नान की शुरूआत सर पर ठण्डा पानी डालकर करें। • भोजन करने से पूर्व हाथ-पाँव आदि पानी से धो लें और गीले पाँव ही आसन पर बैठकर भोजन करें, इससे डायबिटीज नहीं होता। जब भी पांवों को धोएं, उसी समय आंखों पर पानी लगा लें, इससे पांवों की गर्मी आँखों तक नहीं पहुंचेगी और आंखे लाल होने की समस्या नहीं रहेगी। • खाने-पीने का कोई काम खड़े-खड़े न करें बल्कि बैठकर करें। इससे घुटनों का दर्द कभी नहीं सताएगा। भोजन के तत्काल बाद सौ कदम चल लें और पेशाब कर लें, इससे पेट के रोग नहीं होते। • भोजन के बाद थोड़ी सी देर बाँयी करवट लेट लें, इससे आपकी दाहिनी नाक से हवा आनी-जानी शुरू हो जाएगी। याद रखेें कि भोजन का पाचन तभी शुरू होगा जब दाहिनी नाक से हवा शुरू हो। ऎसा नहीं होने पर गैस की शिकायत हो सकती है। • आँखों का तेज बढ़ाने, सभी लोगों का प्रिय बनने और जीवन भर तेजस्वी तथा निरोगी रहने के लिए भगवान भास्कर की उपासना करें और सूर्य को नित्य जल चढ़ाएं। कभी भी सूर्य के सामने खड़े होकर पेशाब न करें, इससे कोढ़ हो सकता है। • रोजगार प्राप्त करना हो, श्रेष्ठ पति की कामना, घर-गृहस्थी के संचालन में आ रही दिक्कतों को दूर करना हो या पितरों की शांति करनी हो तो कच्चा दूध एवं श्ुाद्ध जल पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करते हुए नियमित डालें और इस मंत्र का जप करते रहेंः- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय। • रोजाना दिन में जब भी फुरसत में हों, दोनों आँखों की भौहों के बीच में ‘‘ऊँ ’’ मंत्र का मन ही मन जप करते हुए ध्यान करें। ध्यान में यह भावना करें कि कोई प्रकाश पुञ्ज भीतर छिपा हुआ है और उसकी तरफ आगे बढ़ना है और उसी में भगवान बिराजे हुए हैं। • सुखपूर्वक और बाधा रहित नींद के लिए रात्रि को शयन से पूर्व निम्न मंत्र तीन बार बोल लें — अगस्तिर्माधवश्चैव मुचुकुन्दो महाबलः । कपिलोमुनिरास्तीक पञ्चैते सुखशायिनः॥ • जीवन में परमात्मा के सिवाय किसी से भय नहीें रखें क्योंकि जिससे आप काल्पनिक भय रखते हैं वह परमात्मा की इच्छा के बगैर आपका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता।
याददाश्त और बुद्धि वर्धक मंत्र
प्रातःकाल बिना किसी से बोले निम्न मंत्र का मात्र तीन बार जप कर लें तो जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन अपने आप दिखेगा।
इससे आपकी स्मरण शक्ति बढ़ने के साथ ही सदैव तर्क में विजय होगी और आपका एक-एक शब्द जबर्दस्त रूप से प्रभावशाली होगा।
शर्त यह है कि बिस्तर से उठते ही मुख से सबसे पहले इसी मंत्र का तीन बार उच्चारण करना जरूरी है। अर्थात जगने के बाद यदि मुँह से कोई शब्द निकलेगा तो यही मंत्र निकलेगा।

ऊँ मा निषाद प्रतिष्ठा त्वमगम शाश्वती समाः
यत् क्रौञ्चमिथुनादेकमवधीः काम मोहितम् ॥
(श्रीमद्वाल्मीकीयरामायण, बालकाण्ड द्वितीयः सर्गः 15 वां श्लोक)
• विद्या-बुद्धि और स्मरण शक्ति के लिए सरस्वती के बीज मंत्र ‘ऎं’ का जप करें। जब भी आप फुरसत में हों, इस मंत्र का जप करें। एक लाख से ज्यादा हो जाने पर इसका फायदा अपने आप लगेगा।

चिन्ता मुक्त करने वाला मंत्र
व्यक्ति के जीवन में कई बार यह स्थिति आ जाती है कि क्या करूं, क्या नहीं करूं। ऐसी किंकर्तव्यविमूढावस्था में जब कुछ नहीं सूझ रहा हो, तब रात्रि में सोने से पूर्व हाथ-पैर धोकर आसन बैठकर भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करें और गीता के दूसरे अध्याय का सातवाँ श्लोक यथासंभव(कम से कम एक माला) जपें।
इससे रात्रि में मार्ग दिखाने वाला स्वप्न आएगा अथवा सवेरे उठने पर अनिश्चय की स्थिति अपने आप समाप्त होकर अपने कल्याण लायक मार्ग दिखने लगेगा। बेहतर यह होगा कि यह प्रयोग एकादशी की रात को शयन से पूर्व किया जाए।
कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः
पृच्छामि त्वां धर्मसंमूढचेताः।
यच््रछेयः स्यान्निश्चितं ब्रूहितन्मे
शिष्यस्तेऽहं शाधिमां त्वां प्रपन्नम्।।

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