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Friday 24 June 2011

श्री बजरंग बाण



 
श्री बजरंग बाण 
हनुमान चालीसा की तरह ही श्री बजरंग बाण भी एक सिद्ध स्त्रोत है इस सिद्ध शक्तिशाली बाण को विधि पूर्वक प्रयोग करने से साधक के समस्त कष्टों का निवारण हो जाता है इस बाण की सिद्धि करने से साधक के शरीर में हनुमान जी की शक्ति प्रवेश कर जाती है

 क्रिया एक ही है अपने सामने हनुमान जी का चित्र रखकर श्रद्धा और विशवास के साथ उनका ध्यान करना चाहिए मन की एकाग्रता का अभ्यास करते हुए मन स्वतः ही काबू में हो जाता है हनुमान जी के चित्र की भली भाँती पूजा अर्चना करके श्रद्धायुक्त प्रणाम कर यह स्तुति करनी चाहिए

अतुलित बलधामं हेमशैलाभ देहं दनुजवन कृशानुं ग्यानीनामग्रगण्यम, 
सकल गुन्निधाम वानराणामधीषम, रघुपति प्रिय भक्तं वातजातं नमामि

यह स्तुति करके साधक को चाहिए की वह पास ही दाहिनी ओर एक आसन और बिछा दे जैसे कि शास्त्र में इसका वर्णन आता है कि जब भी बजरंग बाण का पाठ किया जाय तो स्वयं हनुमान जी आसन पर आकर विराजते हैं

बजरंग बाण का जब भी पाठ करें, ऊनी वस्त्र के ऊपर ही बैठकर करें जिसे हनुमान जी वरन कर लेते हैं तब साधक के अन्दर एक नई स्फूर्ति एवं शक्ति का संचार हो जाता है मन में एक नई चेतना एक नए जोश का स्फुरण होने पर वह अपने को बलवान समझने लगता है, निर्भीक व निर्भय हो जाता है तथा समस्त प्रेत बाधाएं तथा आसुरी शक्तियां ऐसे भजन को देखते ही भाग खडी होती है यह हजारों- हजारों का अनुभव है उन्होंने कहा है कि बजरंग बाण का नियमित पाठ बाधाओं और आने वाली कठिनाइयों से रक्षा करता है

बड़े-बड़े योगी, संत महात्मा, तांत्रिक, यांत्रिक भी सदा इस बाण को जपते रहते हैं इसे कंठस्त कर लेना चाहिए यह स्वयं ही मंत्रमय है इसका नित्य पाठ अपने आप में आश्चर्यजनक सफलता देने वाला है रोग-व्याधि तंत्र, मंत्र से जो हानि पहुंचाते हैं उसका प्रभाव स्वतः ही निष्क्रिय हो जाता है जिस घर में प्रतिदिन बजरंग बाण का पाठ होता है, वहां स्वयं हनुमान जी विराजमान रहते हैं और सभी प्रकार की बाधाओं से घर मुक्त रहता है जो भक्त रामलीलाओं में धन आदि देकर भगवान् राम के चरित्र का वर्णन आम जन तक पहुंचाने का कार्य करते हैं वे आर्थिक दृष्टि से संपन्न तो हो ही जाते हैं अपितु धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की सिद्धि भी उन्हें मिल जाती है रामायण का अखंड पाठ व सुन्दर काण्ड का पाठ जन-जन में एक नवीन चेतना का इस कलिकाल में संचार कर रहा है उन घरों में उन्नति व विकास की धारा सदा बहती है

बाधा से बचने के उपाय
सबसे पहले जो भी साधक हनुमान की की साधना करना चाहता है या किसी भी ऐसी देवी-देवताओं की साधना में बैठने जा रहा है उसे किसी शुभ मुहूर्त में आसन पर पूर्व या उत्तर्भिमुख होकर रात्री में 108 मन्त्रों का जप व अष्टांग सामग्री द्वारा हवन करना चाहिए साधक को रक्षा रेखा मंत्र को सिद्ध कर लेना चाहिए जिससे साधना काल में कोई भी बाधा उत्पन्न न हो


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