कुबेर यन्त्र
1. नवरात्र, धनतेरस, दीपावली या अन्य किसी शुभ-मुहूर्त्त में इस यन्त्र की रचना की जाती है, मंगलवार का दिन भी यदि उस दिन हो तो अति उत्तम । अर्द्ध-रात्रि में स्नान करके लाल वस्त्र पहन कर, भोजपत्र पर अथवा ताम्रपत्र पर अष्टगन्ध की स्याही तथा अनार की या पारिजात की कलम से, इस यन्त्र की रचना करें । यन्त्र तैयार हो जाने पर पश्चिम की ओर मुँह करके बैठें, यन्त्र को लाल आसन पर स्थापित करें, उसका लाल चन्दन व लाल पुष्प से पूजन करें, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें और तत्पश्चात् कुबेर मन्त्र का जप आरम्भ करें -
“श्री कुबेराय नमः” अथवा “ॐ श्रीं नमः”
जप की समाप्ति पर निम्न मन्त्र स्तुति का पाठ करें -
“कुबेर त्वं धनाधीश गृहे ते कमला स्थिता ।
तां देवी प्रेषया त्वं शू यद्-गृहे ते नमो नमः ।।”
प्रथम रात्रि को ५०००, फिर नित्य प्रति १००० मन्त्र जपें । इस प्रकार दो लाख जप पूरा हो चुकने पर हवन और दान करें । प्रारम्भिक दिवस में भी कुमारी कन्या को भोजन कराकर दक्षिणा दें । यह प्रयोग दरिद्रता-निवारण में अति प्रभावशाली है।
2. कुबेर कॉलम
मंगलवार या शुक्रवार को काष्ठ की चौकी पर निम्न प्रकार पीसे हुए चावल से कुबेर यन्त्र की रचना करें ।
इस यन्त्र कप धनाधीश कुबेर के चित्र या मूर्ति के सामने रखें । अब 9 सिक्के इन लिखे हुए अंको पर रखे । लाल पुष्प चित्र तथा यन्त्र पर अर्पित करें । धूप-दीप, नैवेद्य अर्पित करें । निम्न श्लोकों का 11 बार उच्चारण करें ।
“मनुज-बाह्य-विमान-वर-स्थितं, गरुड-रत्न-निभं निधि-नायकम् ।
शिव-सखं मुकुटादि-विभूषितं, वर-गदे दधतं भज तुन्दिलम् ।।
यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्याधिपतये
धन-धान्य-समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा ।।”
जप की समाप्ति पर निम्न स्तुति का पाठ करें -
“कुबेर त्वं धनाधीश गृहे ते कमला स्थिता ।
तां देवी प्रेषया त्वं शू यद्-गृहे ते नमो नमः ।।”
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