जन्मकुंडली देखकर जातक के लिंग(स्त्री एवं पुरूष) अथवा उसकी योनि (पशुयोनि,पक्षीयोनि इत्यादि) का निर्धारण कर पाना किसी भी ज्योतिषी के लिए संभव नहीं है । क्यों कि जन्म के क्षणों को लिंगभेद अथवा योनिभेद से विभाजित नहीं किया जा सकता । प्रकृ्ति नें ऎसी कोई व्यवस्था नहीं बनाई है कि समय के इस अन्तराल में केवल पुरूषों का जन्म होगा, इस क्षण में स्त्रियों का, इस क्षण में पशुओं का या कि इस क्षण में सिर्फ पक्षी ही जन्म लेंगें । कोई भी प्राणी चाहे वह किसी भी लिंग,जाति अथवा योनि का क्यों न हो, वह किसी भी क्षण में जन्म लेने के लिए स्वतंत्र है ।
अब यदि विज्ञान प्रकृ्ति के नियमों में सेंध लगाकर ये सुनिश्चित करवा सके कि दिनरात के चौबीस घंटों में इतने घंटे इन्सानों के जन्म के लिए रक्षित हैं ओर इतने पशु पक्षियों के लिए तो फिर जरूर बतलाया जा सकता है कि जन्मपत्री इन्सान की है या कि जानवर की
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