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Friday 24 June 2011

शनि की साढेसाती के अशुभ फलों के उपाय



1. राजा दशरथ विरचित शनि स्तोत्र के सवा लक्ष जप।


2. शनि मंदिर या चित्र पूजन कर प्रतिदिन इस मंत्र का पाठ करें:-


नमस्ते वभु्ररूपाय, कृष्णाय च नमोस्तुते ।।नमस्ते रौद्रदेहाय, नमस्ते चांतकाय च।

नमस्ते यमसंज्ञाय, नमस्ते सौरये विभौ।।

नमस्ते मंदसंज्ञाय, शनैश्चर नमोस्तुते।

प्रसादं कुरू में देवेश, दीनस्य प्रणतस्य च।।


3. घर में पारद और स्फटिक शिवलिंग (अन्य नहीं) एक चौकी पर, शुचि बर्तन में स्थापित कर, विधानपूर्वक पूजा अर्चना कर, रूद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए।


4. सुंदरकाण्ड का पाठ एवं हनुमान उपासना, संकटमोचन का पाठ करें।


5. हनुमान चालीसा, शनि चालीसा और शनैश्चर देव के मंत्रों का पाठ करें। ऊँ शं शनिश्चराय नम:।।

6. शनि जयंती पर, शनि मंदिर जाकर, शनिदेव का अभिषेक कर दर्शन करें।


7. ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम: के 23,000 जप करें फिर 27 दिन तक शनि स्तोत्र के चार पाठ रोज करें।


अन्य उपाय


1. शनिवार को सायंकाल पीपल के पेड के नीचे मीठे तेल का दीपक जलाएं।


2. घर के मुख्य द्वार पर, काले घोडे की नाल, शनिवार के दिन लगावें।


3. काले तिल, ऊनी वस्त्र, कंबल, चमडे के जूते, तिल का तेल, उडद, लोहा, काली गाय, भैंस, कस्तूरी, स्वर्ण, तांबा आदि का दान करें।


4. शनिदेव के मंदिर जाकर, उन्हें काले वस्त्रों से सुसज्जित कराकर यथाविध काले गुलाब जामुन का प्रसाद चढाएं।


5. घोडे की नाल अथवा नाव की कील का छल्ला बनवाकर मघ्यमा अंगुली में पहनें।


6. अपने घर के मंदिर में एक डिबिया में सवा तीन रत्ती का नीलम सोमवार को रख दें और हाथ में 12 रूपये लेकर प्रार्थना करें शनिदेव ये आपके नाम के हैं फिर शनिवार को इन रूपयों में से 10 रूपये के सप्तधान्य (सतनाज) खरीदकर शेष 2 रूपये सहित झाडियों या चींटी के बिल पर बिखेर दें और शनिदेव से कष्ट निवारण की प्रार्थना करें।


7. कडवे तेल में परछाई देखकर, उसे अपने ऊपर सात बार उसारकर दान करें, पहना हुआ वस्त्र भी दान दे दें, पैसा या आभूषण आदि नहीं।


8. शनि विग्रह के चरणों का दर्शन करें, मुख के दर्शन से बचें।


9. शनिव्रत : श्रावण मास के शुक्ल पक्ष से, शनिव्रत आरंभ करें, 33 व्रत करने चाहिएँ, तत्पश्चात् उद्यापन करके, दान करें।

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