नवीन औषधि का आरंभ अश्विनी, पुष्य, हस्त और अभिजीत नक्षत्रों में करना शुभ है। गोचरीय ग्रहों की अशुभता को शुभ करने के लिए औषधीय स्नान करना चाहिए। ग्रहों के दूषित होने पर हवन करवाना शुभ है। सूर्य की शांति के लिए समिधा, आक या मंदार की डाली ग्रहण करनी चाहिए। चंद्रमा के लिए पलाश, मंगल के लिए खदिर या खैर, बुध के लिए अपामार्ग या चिचिढ़ा, गुरु के लिए पीपल, शुक्र के लिए उदुम्बर या गूलर, शनि के लिए खेजड़ी या शमी, राहु के लिए दूर्वा तथा केतु के लिए कुशा की समिधा, सरल, स्निग्ध डाली हवन के लिए ग्रहण करनी चाहिए और ग्रहों के मंत्रों के साथ यज्ञाहुतियां देनी चाहिए।
No comments:
Post a Comment