आइये सबसे पहले आपको दिखाते हैं हिमालय का सबसे रहस्यमयी "काल का कलेंडर" जो तंत्र ज्योतिष का मूल है, इसी पंचांग में तंत्र ज्योतिष
के महारहस्य छिपे हुए हैं, इसे भविष्य कथन का सटीक माध्यम कहा जाता है, अब बात करते हैं दिव्य दृष्टि की, जब साधक परम प्रज्ञावान हो जाता है, महासमाधि का अनुभव कर लेता है तो उसके भीतर दिव्य चक्षु का उदय होता है, जिसे दिव्य दृष्टि कहा जाता है, इस दृष्टि को प्राप्त कर भविष्य को सटीकता से देखा जा सकता है, ..............
के महारहस्य छिपे हुए हैं, इसे भविष्य कथन का सटीक माध्यम कहा जाता है, अब बात करते हैं दिव्य दृष्टि की, जब साधक परम प्रज्ञावान हो जाता है, महासमाधि का अनुभव कर लेता है तो उसके भीतर दिव्य चक्षु का उदय होता है, जिसे दिव्य दृष्टि कहा जाता है, इस दृष्टि को प्राप्त कर भविष्य को सटीकता से देखा जा सकता है, ..............
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