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Friday 24 June 2011

टोटके

टोने-टोटके
छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत्‌
जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय
स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत्‌ जानकारी दी जा रही है...

परीक्षा में सफलता हेतु : परीक्षा में सफलता हेतु गणेश रुद्राक्ष धारण करें। बुधवार को गणेश जी के मंदिर में जाकर दर्शन करें और मूंग के लड्डुओं का भोग लगाकर सफलता की प्रार्थना करें।

पदोन्नति हेतु : शुक्ल पक्ष के सोमवार को सिद्ध योग में तीन गोमती चक्र चांदी के तार में एक साथ बांधें और उन्हें हर समय अपने साथ रखें, पदोन्नति के साथ-साथ व्यवसाय में भी लाभ होगा।

मुकदमे में विजय हेतु : पांच गोमती चक्र जेब में रखकर कोर्ट में जाया करें, मुकदमे में निर्णय आपके पक्ष में होगा।

पढ़ाई में एकाग्रता हेतु : शुक्ल पक्ष के पहले रविवार को इमली के २२ पत्ते ले आएं और उनमें से ११ पत्ते सूर्य देव को ¬ सूर्याय नमः कहते हुए अर्पित करें। शेष ११ पत्तों को अपनी किताबों में रख लें, पढ़ाई में रुचि बढ़ेगी।

कार्य में सफलता के लिए : अमावस्या के दिन पीले कपड़े का त्रिकोना झंडा बना कर विष्णु भगवान के मंदिर के ऊपर लगवा दें, कार्य सिद्ध होगा।

व्यवसाय बाधा से मुक्ति हेतु : यदि कारोबार में हानि हो रही हो अथवा ग्राहकों का आना कम हो गया हो, तो समझें कि किसी ने आपके कारोबार को बांध दिया है। इस बाधा से मुक्ति के लिए दुकान या कारखाने के पूजन स्थल में शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को अमृत सिद्ध या सिद्ध योग में श्री धनदा यंत्र स्थापित करें। फिर नियमित रूप से केवल धूप देकर उनके दर्शन करें, कारोबार में लाभ होने लगेगा।

गृह कलह से मुक्ति हेतु : परिवार में पैसे की वजह से कलह रहता हो, तो दक्षिणावर्ती शंख में पांच कौड़ियां रखकर उसे चावल से भरी चांदी की कटोरी पर घर में स्थापित करें। यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को या दीपावली के अवसर पर करें, लाभ अवश्य होगा।

क्रोध पर नियंत्रण हेतु : यदि घर के किसी व्यक्ति को बात-बात पर गुस्सा आता हो, तो दक्षिणावर्ती शंख को साफ कर उसमें जल भरकर उसे पिला दें। यदि परिवार में पुरुष सदस्यों के कारण आपस में तनाव रहता हो, तो पूर्णिमा के दिन कदंब वृक्ष की सात अखंड पत्तों वाली डाली लाकर घर में रखें। अगली पूर्णिमा को पुरानी डाली कदंब वृक्ष के पास छोड़ आएं और नई डाली लाकर रखें। यह क्रिया इसी तरह करते रहें, तनाव कम होगा।

मकान खाली कराने हेतु : शनिवार की शाम को भोजपत्र पर लाल चंदन से किरायेदार का नाम लिखकर शहद में डुबो दें। संभव हो, तो यह क्रिया शनिश्चरी अमावस्या को करें। कुछ ही दिनों में किरायेदार घर खाली कर देगा। ध्यान रहे, यह क्रिया करते समय कोई टोके नहीं।

बिक्री बढ़ाने हेतु : ग्यारह गोमती चक्र और तीन लघु नारियलों की यथाविधि पूजा कर उन्हें पीले वस्त्र में बांधकर बुधवार या शुक्रवार को अपने दरवाजे पर लटकाएं तथा हर पूर्णिमा को धूप दीप जलाएं। यह क्रिया निष्ठापूर्वक नियमित रूप से करें, ग्राहकों की संख्या में वृद्धि होगी और बिक्री बढ़ेगी।


वृक्षों को भगवान द्वारा प्रदत्त जीवनी शक्ति मानी गई है। यदि हमें कुछ मिनट वृक्षों से मिलने वाली ऑक्सीजन न मिले तो उसी क्षण विज्ञान की भौतिक उपलब्घियां हमारे लिए कुछ नहीं कर पाएंगी। वृक्षों को हम साक्षात् शिव मान सकते हैं। जिस प्रकार से समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पीकर सृष्टि की रक्षा की उसी प्रकार पेड़ प्रतिक्षण कॉब्ाüनडाइऑक्साइड रूपी जहर पीकर हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। अपना शरीर देकर हमारे लिए दैनिक उपयोग और भवन निर्माण के लिए फर्नीचर प्रदान करते हैं। आइए जानें वृक्ष वास्तु के नियम-

पौधारोपण उत्तरा,स्वाति,हस्त,रोहिणी एवं मूल नक्षत्रों में करना चाहिए। ऎसा करने पर रोपण निष्फल नहीं होता।
घर के पूर्व में बरगद, पश्चिम में पीपल, उत्तर में पाकड़ और दक्षिण में गूलर का वृक्ष शुभ होता है किंतु ये घर की सीमा में नहीं होना चाहिए।
घर के उत्तर एवं पूर्व क्षेत्र में कम ऊंचाई के पौधे लगाने चाहिए।
घर के दक्षिण एवं पश्चिम क्षेत्र में ऊंचे वृक्ष (नारियल,अ शोकादि) लगाने चाहिए। ये शुभ होते हैं।
जिस घर की सीमा में निगुण्डी का पौधा होता है वहां गृह कलह नहीं होता।
जिस घर में एक बिल्ब का वृक्ष लगा होता है उस घर में लक्ष्मी का वास बतलाया गया है।

जिस व्यक्ति को उत्तम संतान एवं सुख देने वाले पुत्र की कामना हो,उसे पलाश का पेड़ लगाना चाहिए। यह आवासीय घर की सीमा में नहीं होना चाहिए।
घर के द्वार और चौखट में भूलकर भी आम और बबूल की लकड़ी का उपयोग न करें।
कोई भी पौधा घर के मुख्य द्वार के सामने न रोपें। द्वार भेद होता है। इससे बच्चे का स्वास्थ्य खराब रहता है।
तुलसी का पौधा घर की सीमा में शुभ होता है।
बांस का पौधा रोपना अशुभ होता है।
वृक्षों की छाया प्रात: 9 बजे से दोपहर 3 बजे के मध्य भवन की छत पर नहीं पड़नी चाहिए।
जामुन और अमरूद को छोड़कर फलदार वृक्ष भवन की सीमा में नहीं होने चाहिए। इससे बच्चों का स्वास्थ्य खराब होता है।
वृक्ष के पत्ते, डंडे आदि को तोड़ने पर दूध निकलता हो तो इन्हें दूध वाले वृक्ष कहलाते हैं। ऎसे पेड़ स्थापित करने से धन हानि के योग बनते हैं। इनमें महुआ,बरगद,पीपल आदि प्रमुख हैं। केवड़ा,चंपा के पौधों को अपवाद माना गया है।

बैर,पाकड़,बबूल ,गूलर आदि कांटेदार पेड़ घर में दुश्मनी पैदा करते हैं। इनमें जति और गुलाब अपवाद हैं। घर में कैकट्स के पौधे नहीं लगाएं।

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